
डॉ अंशुमान अग्निहोत्री
उन्नाव, उत्तर प्रदेश। हसनगंज जिले का वो नगीना जो अपनी बहु-विविध कृषि प्रणाली के लिए मशहूर है। यहां की उपजाऊ मिट्टी पर मछली पालन से लेकर सिंघाड़ा, पोल्ट्री, गेंदा फूल, नर्सरी और आम की बागवानी तक सब कुछ फल-फूल रहा है। छोटे-छोटे किसान, जो 94 फीसदी मार्जिनल होल्डिंग्स के मालिक हैं, इन फसलों से न सिर्फ अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं और निजी कोशिशों की बदौलत यहां तालाबों में मछलियां तैर रही हैं, खेतों में गेंदे के फूल मुस्करा रहे हैं, और आम के बागों में मीठी खुशबू बिखर रही है। सिंघाड़ा की जल-रोधी खेती से किसानों को 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की कमाई हो रही है, जबकि पोल्ट्री फार्म्स से मीट की सप्लाई बढ़ रही है। “गुफ्तगू 2025” के तहत इतवार को इसी विविधता को करीब से देखने का मौका मिला, जब एक खास टीम ने अलग-अलग गांवों में किसानों से गुफ्तगू की। ये दौरा सिर्फ देखने-सुनने का नहीं था, बल्कि विचारों को अमल में लाने का जज्बा भी था। सुबह से ही टीम ने हसनगंज के विभिन्न गांवों का सफर शुरू किया। मछली पालकों से बातचीत में पता चला कि तालाबों से 2-3 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार हो रही है, और सब्सिडी की मदद से नए तालाब बन रहे हैं। सिंघाड़ा उगाने वाले किसानों ने बताया कि जुलाई-अक्टूबर का मौसम यहां बेहतर होता है, जहां उपज की अच्छी कीमत मिल जाती है। पोल्ट्री फार्म्स अच्छी पैदावार दे रहे हैं। गेंदा फूल के खेतों में रबी सीजन की रौनक देखी गई, जहां 8-10 टन प्रति हेक्टेयर फूलों की बहार है, जो लखनऊ के बाजारों तक पहुंचते हैं। बागवानी में आम की दशहरी, चौसा-लंगड़ा किस्मों को नई जिंदगी दे रहे हैं। यहां बागवानी के आम बागानों में तो जैसे बहार उतर आई हो, आमों की उपज, जो दिल्ली-मुंबई तक एक्सपोर्ट होती है। दोपहर होते-होते टीम फार्म पहुंची, यहां गन्ने की मिठास, रसावल की ताजगी, मूंगफली की क्रंची टेस्ट और सिंघाड़े की देशी स्वादिष्टता ने सबके दिल जीत लिया। ये सब देशी खाने का ऐसा लुत्फ था, जो शहर की भागदौड़ भुलाने वाला था। किसानों ने बताया कि ये फसलें न सिर्फ आय का स्रोत हैं, बल्कि जल संरक्षण और मिट्टी की सेहत के लिए भी जरूरी हैं। इस दौरे में सलमान अख्तर, तारिक खान, अकील अहमद, मोअज्जम अली, शादाब खान, मुशीर आलम, निशात आरिफ, रईस खान, तनवीर और ऋषि जैसे जज्बे वाले लोग शामिल हुए। सबने मिलकर चर्चा की कि कैसे इन खेतीबाड़ी वाले कारोबार को और मजबूत बनाया जाए, ड्रिप इरिगेशन से लेकर जैविक खाद तक। “गुफ्तगू 2025” का ये हिस्सा वाकई गंभीर और तत्पर था, जहां सिर्फ बातें नहीं, बल्कि अमल का रास्ता साफ हुआ। क़ौमी फरमान डिजिटल मीडिया नेटवर्क इस मुहिम का हिस्सा बनकर गंभीर है, और उम्मीद है कि ये गुफ्तगू हसनगंज के किसानों को नई उड़ान देगी।




