
समाजशास्त्रियों और अर्थशास्त्रियों को देश में बेरोजगारी की दयनीय और कलंकित करने वाली स्थिति का ज्ञान नहीं हो, ऐसा संभव नहीं। सरकार बखूबी जानती है। अमेरिका से बेइज्जती के साथ हथकड़ी-बेड़ियों में तीन बार जकड़कर अमेरिकी सैनिक विमान द्वारा भारत में लाकर पटक देने का कलंक भारत के माथे पर लगा ही था कि म्यांमार में जाकर अच्छे जीवन जीने की इच्छा रखने वालों के पासपोर्ट जब्त कर उन्हें ब्लैकमेल करने का वाकया सामने आया है। सरकार जानती है कि एक संगठित गिरोह भारत में सक्रिय है। वह जानती है कि दो करोड़ बेरोजगारों को प्रति वर्ष रोजगार देने का वादा केवल सत्ता पाने तक सीमित रहा। इसके बाद उस वादे को दूसरे वादों – काला धन वापस लाने, मंहगाई कम करने, किसानों की आय दोगुनी करने, सौ स्मार्ट सिटी बनाने जैसे जुमले जनता के सामने परोसकर मूर्ख बनाया गया, सिर्फ सत्ता सुख पाने के लिए। इसका फायदा संगठित गिरोह उठाने के लिए बेरोजगार युवाओं से संपर्क कर उन्हें फंसाता है और विदेश में अच्छी नौकरी दिलाने के लिए लुभाकर उनसे लाखों रुपए वसूलता है। फिर उन्हें विदेशों में डंकी रूट से भेजकर वहां की दया या रहमो-करम पर छोड़ देता है। ये वाकए अंग्रेजी शासन की याद दिलाते हैं जब भारत के युवाओं को कहा गया था कि विदेश जाकर तुम्हें पत्थर हटाने होंगे, उनके नीचे सोना निकलेगा और वह तुम्हारा होगा। सोने की लालच में भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के पश्चिमी जिलों, राजस्थान, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से लाखों युवाओं को भूसे की तरह भरकर फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मॉरिशस और दक्षिण अफ्रीका में ले जाया गया था। दक्षिण अफ्रीका में रेलवे लाइन बिछाने और अन्य टापुओं पर रबर की खेती जैसे श्रम के कार्यों में लगाने का काम किया गया। वे गिलामिटिया मजदूर फिर स्वदेश नहीं लौटे। वहीं आदिवासियों के संग शादी-विवाह किए और अब उन सभी देशों में शासन सत्ता संभाल रहे हैं।
विदेश जाकर भी वे स्वदेश को नहीं भूले। सर राम गुलाम और जगन्नाथ परिवार उनके बाद मॉरीशस की सत्ता में हैं। मॉरीशस ही नहीं, दूसरे देशों में रहते हुए वे अपनी संस्कृति को जीवित रखने में सफल हुए। मॉरीशस ने तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कई विभाग खोल दिए हैं। वे सभी अपने देश की माटी से आज भी नाता रखते हैं। आज सरकार की वादाखिलाफी का ही परिणाम है कि अमेरिका भारतीय अप्रवासियों को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़कर भारत भेज रहा है। वह भी तब जब विश्वगुरू और भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा देकर अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करके चुनाव प्रचार किया था। मोदी के “माई बेस्ट फ्रेंड” ने हथकड़ी-बेड़ियों में जकड़कर तीन सैनिक विमानों के द्वारा भारतीय नागरिकों को प्रताड़ित करते हुए भारत में ला पटका। उस बदनामी का घाव अभी ताजा ही था कि वही धूर्त संगठन वाले जिन 530 लोगों को म्यांमार में बंधक बनाकर रखा गया, उन्हें छुड़ाने का दावा कर रहे हैं। नोएडा के हिंडन एयर बेस पर एक विदेशी विमान को उतरते और उसमें से 55 लोगों को उतरते देख यूपी पुलिस के हाथ-पैर फूलने लगे। उतरते लोगों को घेर लिया गया, उनसे पूछताछ कर कागजात देखकर उनके घर वापस भेजा गया। इन लोगों को वही दलाल अच्छी आय का दावा कर म्यांमार में ले जाकर पटक देते हैं, जहां उनके पासपोर्ट छीन लिए जाते हैं और उनका शोषण और दोहन किया जाने लगता है।
भारत की नाकारा सरकारों से यह उम्मीद ही नहीं की जा सकती कि वे भारतीय बेरोजगारी और बंदी बनाए गए भारतीय युवाओं की जिंदगी के विषय में सोचेंगी। जब सत्ता बचाने के लिए सरकार तिकड़म करने लगे, धर्म के नाम पर हिंदू जनमानस को कट्टर बनाने लगे, महाकुंभ का प्रचार-प्रसार कर हिंदुओं में धार्मिक उत्तेजना भरकर उन्हें मानसिक गुलाम बनाने के लिए कभी राम मंदिर तो कभी महाकुंभ के नाम पर प्रयागराज संगम पर गंगा में डुबकी लगाकर पाप धोने की प्रेरणा देने लग जाए, ताकि चुनाव में वह जीतकर सत्ता सुख भोग करे। हिंदू खतरे में हैं कहकर मुसलमानों का डर दिखाया जाए। कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार का दोष दूसरों पर मढ़ने की कोशिश की जाए, लेकिन यह नहीं बताया जाए कि जब कश्मीरी पंडितों पर जुल्म किए जा रहे थे, उनका कत्ल किया जा रहा था, तब केंद्र की वी पी सरकार में वह भी शामिल थी। लेकिन कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने को मजबूर किए जाने पर केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने तो दूर, मुंह से एक शब्द तक नहीं निकाला गया था। जब वी पी सिंह सरकार ने मुलायम यादव और लालू यादव जैसे समर्थकों के दबाव में मंडल कमीशन लागू कर दिया, तब सरकार से समर्थन वापस लेने वाली बीजेपी ने दावा किया कि कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर घाटी में अलग कॉलोनी बनाकर उन्हें बसाया जाएगा। वह भी वादा और दावा हवा-हवाई हो गया।
दरअसल मोदी सरकार हो या योगी जैसी बीजेपी सरकार, वे सिर्फ धर्मभीरू हिंदुओं को मूर्ख बनाकर सत्ता में बने रहना चाहती हैं। सच तो यह है कि बीजेपी हिंदुओं को डराने में लग कर उनके वोट का ध्रुवीकरण करती है। ऐसा करके हिंदुओं का ध्यान अशिक्षा, बेरोजगारी, चिकित्सा जैसे मूल मुद्दों से भटकाने का काम करती है और धर्मभीरू हिंदू माला जपते रहते हैं। उन्हें अपनी भावी पीढ़ी का जीवन बर्बाद होता नहीं दिख रहा। वे अंधभक्त बने हुए हैं। श्रीलंका के लोगों की आंखों पर भी धर्म का चश्मा लगा था और जब चश्मा हटा, तो श्रीलंका बर्बाद हो चुका था। उससे भी बदतर हाल भारत का हो चुका है। शेयर मार्केट लगातार गिरकर आम इन्वेस्टरों को दिवालिया बना चुका है। भारतीय अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है। मंहगाई चरम पर है। जीएसटी खून चूस रही है। शेष केवल लोगों के हाथों में भीख का कटोरा पकड़ना है। लेकिन सवाल उठता है कि भीख देने वाला रहेगा कौन?