
नागपुर। राज्य सरकार द्वारा युवाओं में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने हेतु बीते दो वर्षों में अनेक प्रभावशाली पहलें शुरू की गई हैं। इन्हीं पहलों में से एक है ‘सक्षम’– जिसे ‘उद्यम लर्निंग फाउंडेशन’ द्वारा नागपुर और अमरावती जिलों के सरकारी और अनुदानित स्कूलों व जूनियर कॉलेजों में धर्मार्थ संगठनों के माध्यम से सफलतापूर्वक लागू किया गया है। यह पहल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विजन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य युवाओं को आत्मनिर्भर और नवाचार-सक्षम बनाना है। ‘उद्यम लर्निंग फाउंडेशन’ की स्थापना मेकिन माहेश्वरी द्वारा एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में की गई थी। संस्था द्वारा संचालित ‘सक्षम’ कार्यक्रम के अंतर्गत 14 से 25 वर्ष आयु वर्ग के छात्रों में प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा के माध्यम से उद्यमशीलता की मानसिकता और कौशल का विकास किया जा रहा है। साथ ही, शिक्षकों को भी आधुनिक शिक्षण विधियों से प्रशिक्षित किया गया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “हर साल लगभग 14 लाख युवा महाराष्ट्र की कार्यशक्ति में प्रवेश करते हैं। यदि उन्हें समय रहते उचित प्रशिक्षण, प्रेरणा और अवसर मिलें, तो वे न केवल अपनी आजीविका सृजित कर सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार का निर्माण कर सकते हैं। ‘सक्षम’ जैसी पहल इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।नागपुर जिला परिषद के 30 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 40 नवाचार परियोजनाएँ प्रदर्शित की गईं। अमरावती के 212 स्कूलों में 8,000 छात्रों तक यह कार्यक्रम पहुंचा और इसे 2025-26 तक 400 स्कूलों तक विस्तार देने की योजना है। राज्य में अब तक 15,000 छात्रों ने ‘सक्षम’ कार्यक्रम में भाग लिया है। 2,500 से अधिक व्यावसायिक विचार प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 1,500 विचारों पर प्रोटोटाइप तैयार किए गए और 500 से अधिक छात्रों ने अपने उत्पादों की बिक्री भी की। 500 शिक्षकों को उद्यमिता शिक्षण में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। नागपुर जिला परिषद की तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौम्या शर्मा ने कहा, “इस पहल के माध्यम से छात्रों को यह प्रत्यक्ष अनुभव मिला कि वे स्वयं नौकरी के बजाय रोजगार सृजनकर्ता बन सकते हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास और रचनात्मकता का महत्वपूर्ण विकास हुआ है। ‘उद्यम लर्निंग फाउंडेशन’ ने यह भी बताया कि अब तक 12 राज्यों के 29 लाख से अधिक छात्रों को उद्यमिता पर शिक्षा प्रदान की जा चुकी है। महाराष्ट्र में ‘सक्षम’ के जरिए उद्यमशीलता आधारित शिक्षा को संस्थागत रूप देने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया है कि यदि राज्य सरकार की एजेंसियाँ, स्थानीय स्व-सरकारी निकाय तथा गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय कर इस कार्यक्रम को और व्यापक रूप में लागू किया जाए, तो यह शिक्षा के माध्यम से उद्यमिता की नींव मजबूत करने वाला प्रभावी मॉडल बन सकता है।