
मुंबई। विलेपार्ले (पूर्व) स्थित पंचसितारा होटल आर्किड के चेम्बर हॉल में हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘दीपस्तंभ’ ग्रंथ का भव्य विमोचन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में आम्बेकर ने कहा कि समाज अब केवल दर्शक बनकर नहीं रहना चाहता, बल्कि संघ कार्य में सहभागी बनना चाहता है। उन्होंने कहा-संघ के 100 वर्षों की यात्रा में जिन्होंने हमें सहयोग दिया, उनका शताब्दी वर्ष में आभार प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए स्वयं को सक्षम बनाना होगा और इसके लिए शिवशक्ति की साधना एकसाथ करनी चाहिए। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री आशीष शेलार ने ‘दीपस्तंभ’ ग्रंथ को संघ दर्शन का दर्पण बताया। उन्होंने कहा कि संघ सागर की तरह विराट और अनंत है। 100 वर्ष पूरे होने के बाद भी संघ वैचारिक रूप से समृद्ध और अहंकार से परे है। तकनीकी युग में भी मानवता की रक्षा और कल्याण हेतु विश्व को संघ के पास ही आना पड़ेगा। समारोह में हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर और विवेक समूह के प्रबंध संपादक दिलीप करंबेळकर ने भी ग्रंथ और संगठन की यात्रा पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के दौरान हिंदी विवेक को सहयोग देने वाले मनोरमा झा, रामसुंदर झा, सुधीर गोयल, वीरेन्द्र याज्ञिक, संभाजी भोसले, गणेश ठाकुर और प्रशांत मानकुमरे का शॉल और पुरस्कार देकर सम्मान किया गया। वहीं, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के पूर्व कार्याध्यक्ष शितलाप्रसाद दुबे को ‘हिंदी सेवी शिक्षक’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विवेक की कार्यकारी संपादक पल्लवी अनवेकर ने किया और अंत में सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुंबई के अनेक गणमान्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।