
मुंबई। पुणे में औद्योगिक निवेश को गति देने के लिए पुरंदर विमानतल परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी। इस विमानतल के माध्यम से न केवल पुणे और आसपास के क्षेत्रों का औद्योगिक विकास तेज़ होगा, बल्कि यह एक आधुनिक कार्गो विमानतल के रूप में भी कार्य करेगा, जिससे नाशवान वस्तुओं के व्यापार को विशेष लाभ मिलेगा। इस परियोजना से पुरंदर और आसपास के नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ होगा और पुणे के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम से कम दो प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। यह बात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुरंदर विमानतल परियोजना से प्रभावित सात गांवों के ग्रामीणों के साथ मंगलवार को मुंबई स्थित सह्याद्री अतिथिगृह में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान कही। मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि पुरंदर विमानतल महाराष्ट्र और विशेष रूप से पुणे के दीर्घकालिक विकास के लिए एक अहम परियोजना है। इस परियोजना को व्यवहार्य और न्यायसंगत बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसानों को उनकी जमीन के बदले अधिकतम मुआवजा दिया जाएगा। सरकार रेडी रेकनर के आधार पर नहीं, बल्कि आपसी बातचीत के माध्यम से भूमि अधिग्रहण की दर तय करेगी, ताकि किसानों और उनके परिवारों के हितों की पूरी तरह रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि परियोजना-प्रभावित किसानों और नागरिकों के पुनर्वास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों की आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षा और अवसर मिलें। मुख्यमंत्री ने बताया कि पुरंदर एरोसिटी परियोजना के तहत टीडीआर से जुड़े सभी लाभ किसानों को दिए जाएंगे। इसके अलावा, परियोजना-प्रभावित किसानों के बच्चों को शत-प्रतिशत रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी। भूमि अधिग्रहण की अंतिम दर तय होने के बाद स्थानीय युवाओं के लिए कौशल विकास केंद्र शुरू किए जाएंगे, जहां उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि परियोजना से जुड़े पूर्व आंदोलनों के दौरान दर्ज किए गए मामलों को वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अल्पभूधारक और भूमिहीन किसानों के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे और यह राज्य का पहला ऐसा प्रकल्प होगा, जिसमें मुआवजे के साथ-साथ वैकल्पिक भूमि देने पर भी विचार किया जा रहा है। सिडको की परियोजनाओं में पहले साढ़े बाईस प्रतिशत अतिरिक्त लाभ दिया गया था और पुरंदर विमानतल परियोजना में उससे भी अधिक लाभ देने का सरकार का प्रयास रहेगा। पुनर्वास के दौरान परिवार संरचना को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त स्थान दिया जाएगा और बहनों के हिस्से से जुड़े मामलों में भी उचित समाधान निकाला जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पुरंदर विमानतल परिसर में छत्रपति संभाजी महाराज की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। पहले से अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि पर लगे प्रतिबंध हटाने, किसानों को परियोजना में भागीदार बनाने, गांवठाण पुनर्बांधणी के संबंध में उचित निर्णय लेने और परियोजना-प्रभावित नागरिकों को विशेष परियोजना-ग्रस्त प्रमाणपत्र देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों पर भी सरकार विचार कर रही है। बागायती वृक्षों के मुआवजे को लेकर भी चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा और राज्य के सभी परियोजना-प्रभावितों के लिए एक स्वतंत्र महामंडल स्थापित करने की दिशा में भी विचार जारी है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने दोहराया कि वर्ष 2014 के बाद राज्य में शुरू की गई सभी विकास परियोजनाएं केवल राज्य के विकास और नागरिकों के हित में हैं। किसी भी परियोजना का उद्देश्य किसानों को भूमिहीन करना नहीं है। उन्होंने नवी मुंबई विमानतल का उदाहरण देते हुए कहा कि एक विमानतल से किस तरह कृषि, उद्योग और व्यापार के नए अवसर पैदा होते हैं, यह सभी ने देखा है। उसी तरह, पुरंदर विमानतल से भी इस क्षेत्र के किसानों और नागरिकों को निश्चित रूप से दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। इस अवसर पर पूर्व मंत्री विजय शिवतारे, अपर मुख्य सचिव (वित्त) ओ. पी. गुप्ता, परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय सेठी, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव पी. अन्बलगन, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. वेलरासू, पुणे जिलाधिकारी जितेंद्र डुडी सहित परियोजना-प्रभावित सात गांवों के ग्रामस्थ उपस्थित थे। जिलाधिकारी जितेंद्र डुडी ने अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी दी, जबकि ग्राम प्रतिनिधियों ने अपनी मांगें और सुझाव मुख्यमंत्री के समक्ष रखे।




