
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को व्यवसायी मेहुल चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित करने के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा। उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का तबादला हो गया है, जिसके चलते पूरी प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करनी होगी। जुलाई 2018 में ईडी ने चोकसी को एफईओ घोषित करने की याचिका दायर की थी, जो अब तक लंबित है। इसके विपरीत, उनके भतीजे नीरव मोदी को जून 2020 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया गया था। ऐसी घोषणा वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में अहम मानी जाती है, क्योंकि इससे एजेंसियों को भारत और विदेशों में संपत्तियां जब्त करने का अधिकार मिलता है। कहा जा रहा है कि चोकसी की ओर से लगातार दायर किए गए बचाव संबंधी आवेदनों के कारण ईडी की याचिका पर सुनवाई बार-बार टलती रही। अब न्यायाधीश के तबादले के बाद नए न्यायाधीश ने कार्यभार संभाल लिया है और अदालत ने सितंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई तय की है। वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश कुलकर्णी ने कहा कि यह “व्यवस्था की खामी” है, हालांकि कानून के मुताबिक हर व्यक्ति को अपना बचाव करने का अधिकार है और उसे सभी अवसर दिए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि बुनियादी सिद्धांत यही है कि जब तक अपराध साबित न हो, तब तक व्यक्ति निर्दोष माना जाता है।
भारत छोड़कर कभी वापस नहीं आया चोकसी
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में आरोपी चोकसी जनवरी 2018 में भारत से भाग गया था। उसने दावा किया था कि वह इलाज के लिए गया है, और उस समय उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था। बाद में फरवरी 2018 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ मामला दर्ज किया। चोकसी ने अपने बचाव में दो तर्क दिए-पहला, कि उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया था, और दूसरा, कि उसने जानबूझकर भारत से भागकर आरोपों से बचने की कोशिश नहीं की। वहीं, ईडी का कहना है कि अगर वह लौटना चाहता तो भारतीय अधिकारियों से मदद मांग सकता था। करीब साढ़े सात साल बाद अब चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार है और भारतीय एजेंसियां उसके प्रत्यर्पण की कोशिशें तेज कर रही हैं।