
मुंबई। महाराष्ट्र में बिजली वहन (ट्रांसमिशन) व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। महाराष्ट्र राज्य विद्युत पारेषण कंपनी (महापारेषण) और महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्मिती कंपनी (महानिर्मिती) के बीच एक महत्वपूर्ण सामंजस्य करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता महापारेषण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. संजीव कुमार और महानिर्मिती के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन बी. की प्रमुख उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस समझौते के तहत दोनों सरकारी बिजली कंपनियों ने ७६५ केवी क्षमता वाले ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट के लिए ‘टैरिफ बेस्ड कॉम्पिटिटिव बिडिंग’ (टीबीसीबी) प्रक्रिया के अंतर्गत संयुक्त रूप से निविदा दाखिल करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य राज्य में उच्च क्षमता वाली बिजली ट्रांसमिशन परियोजनाओं को अधिक प्रभावी और प्रतिस्पर्धी तरीके से लागू करना है। इस अवसर पर महापारेषण के निदेशक (संचालन) सतीश चव्हाण, निदेशक (परियोजना) अविनाश निंबाळकर, निदेशक (वित्त) तृप्ती मुधोळकर, मुख्य विधि सलाहकार विजय पाटील, मुख्य अभियंता (टीबीसीबी) अमित नाईक सहित महानिर्मिती के निदेशक (वित्त) मनेश वाघिरकर, निदेशक (परियोजना) अभय हरणे, मुख्य विधि सलाहकार डॉ. कीर्ती कुलकर्णी तथा दोनों कंपनियों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस करार से महापारेषण के ट्रांसमिशन क्षेत्र में लंबे अनुभव और महानिर्मिती की बड़े बिजली उत्पादन प्रोजेक्ट्स को लागू करने की तकनीकी दक्षता का समन्वय होगा। ७६५ केवी श्रेणी की परियोजनाओं के लिए इन दो प्रमुख सरकारी ऊर्जा कंपनियों का एक साथ आना राज्य की ऊर्जा अवसंरचना के लिए एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक कदम माना जा रहा है। नई ट्रांसमिशन परियोजनाओं से राज्य की बिजली वहन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और ग्रिड को अधिक स्थिरता मिलेगी। साथ ही, सरकारी कंपनियों की संयुक्त भागीदारी से परियोजना लागत में बचत और गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। भविष्य में बढ़ती बिजली मांग को देखते हुए ७६५ केवी की ट्रांसमिशन प्रणाली राज्य के ‘पावर कॉरिडोर’ की रीढ़ साबित होगी। इस रणनीतिक निर्णय से महापारेषण की पहचान देश की अग्रणी राज्य ट्रांसमिशन कंपनी के रूप में और मजबूत होगी, जबकि महानिर्मिती के साथ तालमेल से बड़े प्रोजेक्ट्स को तेज़ी और उच्च तकनीकी क्षमता के साथ पूरा करना संभव हो सकेगा।




