
नागपुर। महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को ‘माझी लाडकी बहीण’ योजना को लेकर सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें योजना में कथित भ्रष्टाचार, योग्य लाभार्थियों को मिलने वाली सहायता को 1,500 रुपये से 2,100 रुपये तक बढ़ाने के वादे और पुरुषों द्वारा धोखाधड़ी से लाभ लेने का मुद्दा प्रमुख रहा। शिवसेना (यूबीटी) विधायक सुनील प्रभु ने आरोप लगाया कि 12,431 पुरुषों ने फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कर लगभग 164 करोड़ रुपये का सरकारी फायदा उठाया। कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने दावा किया कि आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी सेविका और ग्राम सेवकों पर लक्ष्य पूरा करने का दबाव डालकर फर्जी फॉर्म भरे गए, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा कि 2.63 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन शुरू हो चुका है और कई महिलाओं के पास बैंक खाता न होने के कारण पुरुषों के खाते दिए गए थे, इसलिए e-KYC आवश्यक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुरुषों को गलत रूप से हुए भुगतान की जांच होगी और पुष्टि मिलने पर रिकवरी की जाएगी। एनसीपी (एसपी) विधायक जयंत पाटिल की शर्तों पर उठाई आपत्तियों का भी मंत्री ने जवाब दिया। बहस के दौरान राजनीतिक तकरार भी देखने को मिली, जब जयंत पाटिल ने कहा कि जिस मुख्यमंत्री ने योजना शुरू की थी, वे ‘नंबर 1’ से ‘नंबर 2’ हो गए हैं। इस पर मंत्री शंभूराज देसाई ने पलटकर कहा कि महायुति में पद बदलते रहते हैं और एकनाथ शिंदे हमेशा नंबर 2 पर नहीं रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने योजना का बचाव करते हुए कहा कि ‘माझी लाडकी बहीण’ योजना कभी बंद नहीं होगी और विपक्ष अफवाहें फैला रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सही समय आने पर लाभ राशि 2,100 रुपये कर दी जाएगी। अंत में, सत्तापक्ष ने योजना जारी रखने और वित्तीय गड़बड़ियों को सुधारने का भरोसा दिया, जबकि विपक्ष ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरकार से जवाबदेही की मांग दोहराई।




