
पुरी। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा का शुभारंभ शुक्रवार को धूमधाम से हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने “जय जगन्नाथ” और “हरि बोल” के उद्घोष के साथ भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को खींचते हुए मंदिर से श्री गुंडिचा मंदिर तक ले जाने की परंपरा निभाई। हालांकि शुक्रवार शाम को भारी भीड़ और अन्य कारणों के चलते रथयात्रा को बीच में विश्राम दे दिया गया, और अब यह यात्रा शनिवार को दोबारा शुरू की जाएगी। इस वर्ष भगवान बलभद्र का रथ बड़गंडी, देवी सुभद्रा का रथ मरचीकोट, और भगवान जगन्नाथ का रथ सिंह द्वार के पास रुका है। पुरी स्थित श्रीमंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर को भगवान की मौसी का घर माना जाता है, जहां हर वर्ष यह रथयात्रा संपन्न होती है। रथयात्रा की परंपरा के अनुसार, सबसे पहले पुरी के गजपति महाराजा दिव्य सिंह देव ने दोपहर 3 बजे सोने की झाड़ू (छेरा पहंरा) से रथों की सफाई कर विधिवत यात्रा की शुरुआत की। इसके बाद भगवान बलभद्र, फिर देवी सुभद्रा और सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ अपने-अपने भव्य रथों पर सवार हुए। पुरी में इस महोत्सव के दौरान हर तरफ भक्ति, उल्लास और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला। भारी भीड़ के चलते कुछ श्रद्धालु घायल हो गए और कुछ की तबीयत भी बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए दो एंबुलेंस बुलाई गईं, लेकिन बड़ादंडा (मुख्य मार्ग) पर अत्यधिक भीड़ के कारण एंबुलेंस को भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। इस पावन अवसर पर देश के अन्य हिस्सों में भी रथ यात्राओं का आयोजन हुआ। अहमदाबाद में सुबह 4 बजे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगल आरती की, और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पारंपरिक पाहिंद विधि से रथयात्रा की शुरुआत की। यात्रा के समापन पर रात्रि 8:30 बजे तक भगवान मंदिर वापस लौटेंगे। पुरी की रथयात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और जनभावनाओं का भव्य उत्सव भी है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। शनिवार को जब रथयात्रा दोबारा शुरू होगी, तब एक बार फिर भक्तों का सैलाब भगवान जगन्नाथ के दर्शन और रथ खींचने हेतु उमड़ पड़ेगा।