प्रतिबंध के बावजूद मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में बिक रहा गुटखा

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 2012 में गुटखा और सुगंधित तंबाकू पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले से राज्य के राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ा, फिर भी सरकार ने इसे लागू किया। लेकिन आज, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में गुटखे की बिक्री बेखौफ जारी है।
एफडीए की खामोशी पर सवाल
खाद्य व औषध प्रशासन (एफडीए) के अधिकारी इस पर कार्रवाई करने के बजाय खामोश दिखाई दे रहे हैं। यह खामोशी महज संयोग नहीं बल्कि सांठगांठ का परिणाम मानी जा रही है। आरोप है कि गुटखा माफियाओं और कुछ अधिकारियों के बीच गहरे रिश्ते हैं, जिससे यह अवैध कारोबार निर्बाध रूप से चल रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुटखा माफियाओं पर मकोका (MCOCA) लगाने के लिए कानून में संशोधन पर विचार किया है। लेकिन बड़ा सवाल है कि जब विभाग के भीतर ही गुटखा माफियाओं के “गॉडफादर” मौजूद हैं, तो पहले इन अधिकारियों पर ही मकोका क्यों न लगाया जाए?
पुलिस और एफडीए की मिलीभगत
मुंबई का शायद ही कोई इलाका हो जहां गुटखे की बिक्री न हो रही हो। इस पूरे तंत्र में न केवल एफडीए बल्कि स्थानीय पुलिस की सहभागिता से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इस मिलीभगत ने गुटखा प्रतिबंध को मजाक बना दिया है।
आईबी और विजिलेंस की भूमिका पर सवाल
एफडीए के अंदर मौजूद इंटेलिजेंस ब्रांच (आईबी) और विजिलेंस विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर यह विभाग क्या कर रहा है? सूत्रों का कहना है कि गुटखा माफियाओं का नेटवर्क खुद एफडीए के कुछ अधिकारी चला रहे हैं। यह नेटवर्क मंत्रालय तक फैला हुआ है, जो बेहद चिंताजनक और खतरनाक है।
समाधान: पहले घर के भेदी पकड़ें
अगर सरकार सच में गुटखा माफियाओं के खिलाफ गंभीर है, तो उसे सबसे पहले विभाग के अंदर मौजूद भ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी होगी। जब तक “घर के भेदी” साफ नहीं किए जाते, तब तक गुटखा प्रतिबंध महज कागजों तक सीमित रहेगा और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जारी रहेगा।