मुंबई। भारतीय संविधान को समझने और नई पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराने के उद्देश्य से ‘संविधान मंदिर’ की स्थापना की गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पहल की शुरुआत करते हुए कहा कि यह न केवल संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है, बल्कि भारतीय संविधान की महानता को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है। 434 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) में ‘संविधान मंदिरों’ का उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों और युवाओं को भारतीय संविधान की विशेषताओं से परिचित कराना है। एल्फिंस्टन टेक्निकल स्कूल और जूनियर कॉलेज में आयोजित इस समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले, राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।
संविधान के महत्व पर जोर
उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में बताया कि भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान अपनी संरचना में अद्वितीय है और इसका महत्व न केवल भारतीय नागरिकों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। धनखड़ ने कहा कि संविधान वंचितों के उत्थान का मार्गदर्शन करता है और इसमें निहित सामाजिक न्याय का आधार आरक्षण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान का सम्मान करना और उसे समझना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।
संविधान मंदिर: एक प्रेरणादायक पहल
संविधान मंदिर की इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों में पढ़ने और संविधान के प्रति जागरूकता पैदा करना है। यह कार्यक्रम न केवल संविधान की जानकारी देगा बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होगा। इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने वृक्षारोपण भी किया और संविधान संग्रहालय का अवलोकन किया। कुल मिलाकर, ‘संविधान मंदिर’ पहल भारतीय संविधान की महत्ता को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे संविधान के मूल्यों को समाज में व्यापक रूप से प्रचारित किया जा सके।