Tuesday, July 29, 2025
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सुप्रिया सुले का बड़ा आरोप: ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन’ योजना में 4,800 करोड़ का घोटाला, डीबीटी व्यवस्था की विफलता उजागर

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की वरिष्ठ सांसद सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार की बहुचर्चित ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना’ में 4,800 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले का आरोप लगाकर राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने सीधे-सीधे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब यह योजना केवल महिलाओं के लिए है, तो उसमें पुरुष लाभार्थियों के नाम कैसे जुड़ गए? उन्होंने दावा किया कि यह घोटाला राज्य सरकार के ही आंकड़ों पर आधारित है और कोई काल्पनिक आरोप नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, सुले ने कहा कि योजना में भारी अनियमितताएँ सामने आई हैं। उन्होंने पूछा, जब आधार, बैंक खाता और लिंग जैसी बुनियादी जानकारियों की जाँच होनी चाहिए, तब भी डीबीटी से पुरुषों के खातों में पैसे कैसे पहुँचे? उन्होंने इस चूक को “डिजिटल इंडिया की विफलता” बताया और कहा कि इस पर सरकार को सामूहिक जवाबदेही लेनी चाहिए। हालाँकि उन्होंने महिला व बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे को व्यक्तिगत रूप से दोषी मानने से इनकार किया, परंतु यह भी स्पष्ट किया कि वे “सिस्टम की खामियों” की बात कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मैं किसी पर झूठा आरोप नहीं लगाऊँगी, लेकिन जो गलत हुआ है, उसकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए। उनके इस रुख ने राजनीतिक हलकों में अटकलें शुरू कर दी हैं कि वे इशारा किस ओर कर रही हैं। सुले ने यह भी सवाल उठाया कि यदि डीबीटी प्रणाली में कई स्तरों पर सत्यापन होता है, तो यह चूक क्यों और कैसे हुई? क्या इसमें बैंकों की मिलीभगत थी या सरकारी अमले की लापरवाही? उन्होंने पूछा कि इतनी बड़ी रकम का ग़लत वितरण सिस्टमिक विफलता नहीं तो और क्या है? ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन’ योजना का उद्देश्य गरीब, जरूरतमंद महिलाओं को मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करना था, जिसे डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन यदि सुले के दावे सही साबित होते हैं, तो यह सवाल उठता है कि डिजिटल गवर्नेंस और डीबीटी की संरचना कितनी सुरक्षित और जवाबदेह है? अब सबकी निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह इस गंभीर आरोप पर क्या प्रतिक्रिया देती है। विपक्ष इस मुद्दे को सदन में उठाने की तैयारी कर रहा है, जबकि आमजनता भी एक स्पष्ट और निर्णायक कार्रवाई की अपेक्षा कर रही है। सुले के इस आरोप ने राज्य की सबसे चर्चित कल्याणकारी योजनाओं में से एक की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है।

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