
मुंबई। राज्य में गन्ना कटाई का मौसम शुरू हो गया है और बेमौसम बारिश से गन्ना श्रमिकों को हो रही परेशानियों को देखते हुए विधान परिषद की उपसभापति डॉ.नीलम गोऱ्हे ने सहकारिता विभाग को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली के माध्यम से उन्हें वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव तैयार करने का सुझाव दिया है। गुरुवार को गन्ना श्रमिकों के कल्याण और भविष्य की दिशा तय करने को लेकर विधान भवन में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे, कोंकण के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त सिद्धराम सलीमथ, उपसचिव अंकुश शिंगाड़े, लोकनेते गोपीनाथ मुंडे गन्ना कटाई निगम के प्रबंध निदेशक रवींद्र गोराने और राज्य परिवार कल्याण कार्यालय, पुणे के उपनिदेशक डॉ. आशीष भारती उपस्थित थे। बैठक में डॉ गोऱ्हे ने कहा कि गन्ना श्रमिक राज्य के चीनी उद्योग की रीढ़ हैं और बेमौसम बारिश के कारण उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि समय पर गमबूट, इलेक्ट्रिक रीपर, सैनिटरी नैपकिन और दस्ताने जैसी आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराने के लिए डीबीटी प्रणाली के जरिए मदद देना सबसे प्रभावी तरीका होगा। साथ ही, उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग को मोबाइल शौचालयों की व्यवस्था करने के लिए न्यायालय के आदेशों को तत्काल लागू करने का निर्देश देने की बात कही। डॉ.नीलम गोऱ्हे ने गन्ना श्रमिकों के स्वास्थ्य की देखभाल पर जोर देते हुए कहा कि उनके कार्यस्थलों पर साप्ताहिक मोबाइल क्लिनिक की सुविधा दी जानी चाहिए और महिला श्रमिकों के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ की सेवाएं भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि महिला श्रमिकों को मातृत्व अवकाश और मातृत्व योजना का लाभ देने पर विचार होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जल्द ही छत्रपति संभाजीनगर, सोलापुर, पुणे, कोल्हापुर, धाराशिव, अमरावती, अहिल्यानगर, नासिक, सतारा, बुलढाणा, नांदेड़, लातूर, जलगाँव और सांगली के जिला कलेक्टरों के साथ एक और बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें गन्ना श्रमिकों के कल्याण से जुड़े ठोस उपायों पर चर्चा की जाएगी।




