Sunday, September 7, 2025
Google search engine
HomeLifestyleलघु कथा: गंदा है पर धंधा है...

लघु कथा: गंदा है पर धंधा है…

वरिष्ठ लेखक- जितेंद्र पाण्डेय
समूचे देश में अवैध ढंग से खनन कार्य धड़ल्ले से हो रहा है। इन खनन माफियाओं के सिर पर किसी न किसी बड़े मंत्री का वरदहस्त रहता है। कुछ बड़े नेता खुद ही खनन माफिया बने हुए हैं, जिनके विरुद्ध हवाहवाई बातें तो खूब होती हैं, लेकिन आज तक किसी बड़े माफिया नेता पर गंभीर कानूनी कार्रवाई करके जेल नहीं भेजा गया, न ही दंडित किया गया। खनन माफियाओं के ऊपर बड़े मंत्रियों का हाथ होने के कारण, अवैध खनन रोकने के लिए मौके पर पहुंचे आईपीएस अधिकारियों को डंपर से कुचलने तक का दुस्साहस इन माफियाओं द्वारा किया जाता रहा है। अवैध खनन की कमाई के एक करोड़ को उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के तीस करोड़ देने का मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। साउथ के कई बड़े खनन माफियाओं की काली कमाई की चर्चा केवल चुनाव प्रचार तक ही सीमित रही है। केवल वोट लेने तक सीमित रह गई और नेता बड़े नेता बनकर उभरते रहे। उत्तर प्रदेश में एक महिला आईपीएस को डंपर से कुचलने का मामला कई वर्ष पूर्व सामने आया था। भ्रष्टाचार में शामिल होने के बाद अकूत संपत्ति जमा करने पर करोड़ों की अवैध संपत्तियां जब्त की गईं। अधिकारियों के यहां छापे पड़ते देखे गए हैं, लेकिन नेताओं के यहां छापे कम या नहीं के बराबर पड़े हैं, जब तक कोई नेता सत्ता की खिलाफत न करे। ताजा मामला महाराष्ट्र के सोलापुर जिले का है। यहां अवैध मोरंग खनन रोकने के लिए पहुंची एक महिला आईपीएस अधिकारी को खुद उपमुख्यमंत्री द्वारा फोन पर धमकाने के आरोप वाला वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वीडियो में अजीत पवार को यह कहते सुना गया कि “मैं डिप्टी सीएम बोल रहा हूं। यह काम रोकने की हिम्मत तुमने कैसे की? मेरा चेहरा तो पहचानती होगी तुम। चली जाओ वहां से, खनन मत रोको। मेरा आदेश है यह। जब महिला आईपीएस ने उनसे उनका मोबाइल नंबर मांगा ताकि बात हो सके, तो कथित तौर पर वीडियो कॉल कर धमकाया गया। गांव वालों ने शोलापुर में अवैध खनन का विरोध किया और संभवतः उसी सूचना पर अधिकारी कार्रवाई करने गई थीं। यह वही अजीत पवार हैं, जिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था और कहा था “अजीत पवार गोइंग जेल एंड चक्की पीसिंग पीसिंग। यही नहीं, उन पर अपने चाचा शरद पवार से गद्दारी कर पार्टी तोड़ने के भी आरोप लगे थे। जिनके चुनाव क्षेत्र में लाखों फर्जी मतदाता जोड़ने की बात कही गई थी। बाद में बीजेपी आलाकमान ने राकांपा का नाम, निशान और सत्ता उन्हें सौंप दी। यही नहीं, महाराष्ट्र के भ्रष्ट नेताओं जैसे छगन भुजबल और पटेल के साथ मिलकर वे उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं। अब सवाल यह है कि वायरल वीडियो के बाद प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और शरद पवार कौन सी कार्रवाई करते हैं? क्या वे अजीत पवार को पार्टी से निकालकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हैं, या फिर अवैध खनन का समर्थन करते हुए चुप्पी साध लेते हैं? देश में यह नया नहीं है कि विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाएं, जांच शुरू हो, और जैसे ही वे बीजेपी में शामिल हों, जांच रोक दी जाए और वाशिंग मशीन में धोकर क्लीन चिट दी जाए। असम के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा पर शारदा चिट फंड घोटाले के गंभीर आरोप थे। लेकिन उन्होंने अपनी कांग्रेस सरकार को बीजेपी सरकार में बदल दिया और मोदी-शाह के सबसे बड़े नफरती और गालीबाज नेता ही नहीं बने, बल्कि असम में हजारों घरों पर बुलडोजर चलवाकर बंगाली भाषियों को बांग्लादेशी बताकर खदेड़ा और तीन हजार बीघा जमीन अडानी को सौंप दी। जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो न्यायाधीश ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा- अडानी को तीन हजार बीघा जमीन? इसका मतलब आधा जिला ही किसी पूंजीपति को कैसे दिया जा सकता है। अदालत ने इस बेशर्मी पर रोक लगा दी। अब देखना यह है कि एक ईमानदार महिला आईपीएस द्वारा गैरकानूनी खनन रोकने के प्रयास पर केंद्र सरकार क्या ऐक्शन लेती है? क्या कांग्रेस इसे सुप्रीम कोर्ट में उठाती है? और सबसे बड़ा सवाल- क्या इस महिला अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया जाएगा, सस्पेंड कर दिया जाएगा, या वह सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करती हुई इस्तीफा देकर घर बैठ जाएगी? या फिर सत्ता के दबाव में आकर खुद भ्रष्टाचार में शामिल होकर कमीशन लेती हुई सरकार की स्वामिभक्ति निभाने लगेगी? यह आने वाला समय तय करेगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments