
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने के फैसले के खिलाफ रविवार को शिवसेना (यूबीटी) के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने आज़ाद मैदान में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किया, जिन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सरकारी आदेश (जीआर) की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। ठाकरे ने स्पष्ट किया, हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे महाराष्ट्र पर थोपने का हम विरोध करते हैं। जीआर की प्रतियां जलाने का अर्थ है कि हम इसे स्वीकार नहीं करते। उन्होंने सरकार पर मराठी भाषा के साथ अन्याय करने और छात्रों पर अनावश्यक बोझ डालने का आरोप लगाया। ठाकरे ने यह भी घोषणा की कि शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) मिलकर 5 जुलाई को एक भव्य संयुक्त मोर्चा निकालेंगे। प्रदर्शन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल, शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत और अनिल देसाई, मनसे नेता नितिन सरदेसाई, विधायक आदित्य ठाकरे, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और वामपंथी व समाजवादी दलों के नेता भी शामिल हुए। वर्ली के विधायक आदित्य ठाकरे ने प्रदर्शन की तस्वीरें साझा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, महाराष्ट्र में भाषा थोपना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। छोटे बच्चों पर इस तरह का दबाव डालना गलत है। किसी भी नई भाषा या विषय को कक्षा 5 के बाद वैकल्पिक रूप से लागू किया जाना चाहिए। विपक्षी दलों ने सरकार से अपील की है कि स्कूली शिक्षा में छात्रों को भाषा चुनने की स्वतंत्रता दी जाए, मराठी को प्राथमिकता मिले और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से बचा जाए। इस मुद्दे पर राज्य में राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ रहा है।