
पंकज शर्मा ‘तरुण’
सुबह-सुबह मैं अपनी प्रिय पत्नी के साथ मॉर्निंग वॉक पर जा रहा था। चूंकि शीत ऋतु थी तो मैंने और पत्नी ने सर्दी से बचने का पूरा इंतजाम शरीर पर किया हुआ था।आजकल हाई वे काफी बन गए हैं तो हमारे कस्बे से भी फोर लेन गुजर रहा है जो दिल्ली से मुंबई तक जाता है। कस्बे, गांव और शहर में नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखकर माननीय मंत्री जी ने सर्विस रोड भी दोनों तरफ बनवा दिए हैं,ताकि नागरिकों को व्यस्त हाई वे पर न जाना पड़े। प्रातः काल में सूर्योदय के पूर्व का समय बड़ा ही सुहावना होता है।प्रकाश भी आंखों के लिए बड़ा अच्छा होता है। हम बातें करते हुए टहल रहे थे तभी एक युवती जिसकी उम्र अठारह उन्नीस की रही होगी दिखाई दी। वेशभूषा से प्रतीत होता था किसी खाते पीते घर की है। उसने हाफ आस्तीन की टी शर्ट और बरमूडा धारण कर रखा था तथा उसके हाथ में एक विलायती कुत्ते की चेन थी। कुत्ता अपने नित्य कर्म से निवृत्त होने हेतु चहल कदमी कर रहा था। धरती पर बनी विकसित होते भारत की सड़क को बार बार सूंघता था। ऐसा प्रतीत हुआ उसका प्रेशर नहीं बन पा रहा था। कोई इंसान होता तो अवश्य ही जर्दा,गुटका खा कर या बीडी -सिगरेट फूंक कर प्रेशर बना लेता। ऐसी ठंड में युवती के वस्त्र विन्यास को देख कर मेरी पत्नी बोल पड़ी, देखो इस लड़की को ऐसी ठंड में भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा। मैंने कहा उस पर संगत का असर है। कुत्ते ने तो कुछ भी नहीं पहना है। शायद उसी से यह प्रेरणा ले कर छोटे वस्त्रों में कुत्ते को घुमाने लाई है। आजकल अंग्रेजी कुत्तों को घरों में, बंगलों में पालने का शौक बड़े जोरों पर है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कुत्ता उस परिवार की एक पहचान बन गया है। कुत्ता पालने से व्यक्ति की हाई सोसायटी में बड़ी इज्जत होती होगी। ऐसा मैं सोचता हूं। अब मैं सही सोचता हूं या गलत यह तो आप ही बता सकते हैं। अभी पिछले दिनों संसद के शीत कालीन सत्र के आरंभ में एक सांसद मैडम ने अपने कुत्ते को भी संसद की सैर कराने की ठानी और आ गई अपनी और कुत्ते की महिमा को प्रदर्शित करने। देखने वाले सांसदों ने दांतों तले उंगली दबा ली। शायद वे यह सोच रहे थे कि हमको लोकसभा की सदस्यता लेने में नानी याद आ गई, खेती बिक गई, सिर पर करोड़ों का कर्ज हो गया,दोस्त, दुश्मन बन गए,बीवी रूठ कर मायके चली गई। वो तो भला हो जनता जनार्दन का जिसने चमत्कारिक रूप से चुनाव जितवा दिया,तो बीवी भी वापिस लौट आई,दोस्त रिश्तेदार बन गए। घर में पले कुत्ते को भी तोहफे मिलने लगे। एक खास करीबी चमचे ने तो कुत्ते के लिए चांदी की चेन ही भेंट कर डाली। चौधरी मैडम ने तो बिना चुनाव जीते ही कुत्ते को यह सुनहरा अवसर प्रदान करवा दिया। कुत्ते को देखने वाले सांसद मन ही मन जल कर सोच रहे थे काश मैं इस कुत्ते की जगह होता तो इतनी मेहनत से बच जाता। मुफ्त में संसद की सैर कर लेता! एक युवा सांसद जो पहली बार जीत कर आया था,इस कुत्ते की किस्मत से जल भुन रहा था। मैडम ने अपनी राजनीति की महिमा को जिस अंदाज में दिखाया है वह वाकई काबिल ए तारीफ है! इस अद्भुत अकल्पनीय घटना को तो टीवी के नंबर वन चैनलों ने बड़े ही अकल्पनीय तरीके से ब्रेकिंग न्यूज बना कर करोड़ों रुपए के विज्ञापन पा कर आनंद लिया। जितनी तारीफ कुत्ते की हुई उतनी किसी सांसद की भी आज तक नहीं हुई! इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में इस अद्भुत अकल्पनीय सनसनी खेज घटना को लिखा जाएगा विलायती कुत्ते के फोटो सहित।




