Saturday, November 22, 2025
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60 करोड़ रुपए धोखाधड़ी केस: राज कुंद्रा को मुंबई ईओडब्ल्यू का समन

मुंबई। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 60 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में व्यवसायी राज कुंद्रा को समन जारी किया है। यह कार्रवाई उस एफआईआर के बाद हुई है जिसमें व्यवसायी दीपक कोठारी ने कुंद्रा और उनकी पत्नी, अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी पर धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। एजेंसी पहले ही दंपति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कर चुकी है। ईओडब्ल्यू के सूत्रों के मुताबिक, कुंद्रा को पहले बुधवार, 10 सितंबर 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने सोमवार 15 सितंबर 2025 को पेश होने का अनुरोध किया, जिसे पुलिस ने स्वीकार कर लिया। समन में कुंद्रा को बैंक स्टेटमेंट, वित्तीय दस्तावेज और जांच अवधि के दौरान उनके कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। पुलिस का कहना है कि कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी को पहले भी तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे विदेश में होने का हवाला देकर पेश नहीं हुए और अपने वकील को भेजा। यह मामला 14 अगस्त 2025 को जुहू निवासी व्यवसायी दीपक कोठारी की शिकायत पर दर्ज हुआ था। कोठारी ने आरोप लगाया कि 2015 से 2023 के बीच उन्होंने दंपति को कारोबार विस्तार के लिए 60.48 करोड़ रुपए दिए, लेकिन इस राशि का कथित रूप से निजी इस्तेमाल किया गया। कोठारी के मुताबिक, वे पहली बार कुंद्रा और शेट्टी से 2015 में एक एजेंट राजेश आर्य के ज़रिए मिले थे, जब दंपति बेस्ट डील टीवी के निदेशक थे। उस समय शिल्पा शेट्टी के पास कंपनी की 87% से अधिक हिस्सेदारी थी। दंपति ने 12% वार्षिक ब्याज पर 75 करोड़ रुपए का ऋण मांगा और बाद में कर संबंधी जटिलताओं से बचने के लिए राशि को निवेश के रूप में दिखाने का सुझाव दिया।इसके आधार पर कोठारी ने अप्रैल 2015 में 31.95 करोड़ रुपए और जुलाई 2015 से मार्च 2016 के बीच 28.54 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। साथ ही स्टांप ड्यूटी के लिए 3.19 लाख रुपए का भुगतान किया। अप्रैल 2016 में शिल्पा शेट्टी ने कथित तौर पर एक व्यक्तिगत गारंटी दी, लेकिन उसी साल सितंबर तक कंपनी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कंपनी ने 1.28 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुकाया। कोठारी का कहना है कि बार-बार मांग के बावजूद मूल राशि और ब्याज दोनों वापस नहीं किए गए। शुरुआत में यह मामला जुहू पुलिस में दर्ज हुआ था, लेकिन 10 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी को देखते हुए बाद में इसे आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया।

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