एक आरोपी गिरफ्तार, दूसरा फरार- जीआरपी ने केस लेने से किया इंकार, आरपीएफ उपनिरीक्षक दीपाली सिंह निलंबित

वी बी माणिक
मुंबई। मध्य रेल के डोंबिवली स्टेशन पर फर्जी पत्रकारों के रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। दो व्यक्ति, जो खुद को पत्रकार बताते थे, स्टेशन पर प्रतिदिन स्टॉलधारकों और धंधेवालों से वसूली करते थे, साथ ही टिकट दलाली और अन्य अवैध गतिविधियों में भी शामिल थे। सूत्रों के अनुसार, इन लोगों को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक उपनिरीक्षक का संरक्षण प्राप्त था। शुक्रवार को निरीक्षक नागर के आदेश पर आरपीएफ ने कार्रवाई करते हुए एक आरोपी विवेक मिश्रा (पुत्र बरमदेव मिश्रा) को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उसका साथी बिपिन पांडेय फरार है। दोनों पर मामला क्रमांक सीआर नं. 1840/25 के तहत धारा 137, 145(बी) और 146 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है और जांच शुरू की गई है। आरोपियों पर डीआरएम हिरेश मीना का नाम लेकर स्टॉलधारकों को डराने-धमकाने का आरोप है। बताया गया है कि दोनों आरोपी स्टेशन पर अवैध वसूली कर मोटी रकम उगाहते थे। निरीक्षक नागर के पदभार ग्रहण करते ही इन पर कार्रवाई की गई, जिसके बाद कई स्टॉलधारकों और वेंडरों ने वसूली की बात कबूल की। गिरफ्तारी के बाद जब दोनों आरोपियों को जीआरपी (राज्य रेलवे पुलिस) के हवाले करने की बात आई तो जीआरपी ने केस लेने से इनकार कर दिया, जिससे दोनों एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी उजागर हुई। इस मामले में आरपीएफ की उपनिरीक्षक दीपाली सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते डीएससी प्रतीक्षा सिंह ने उन्हें निलंबित कर दिया और विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। मामले की आगे की जांच एएसआई प्रदीप पाल कर रहे हैं। मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ.स्वप्निल नीला ने बताया कि एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, दूसरा फरार है, और आरपीएफ की ओर से जांच जारी है। यह घटना न केवल स्टेशन पर हो रहे अवैध कार्यों को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि आरपीएफ और जीआरपी की मौजूदगी के बावजूद इतने दिनों तक यह फर्जी पत्रकार किसके संरक्षण में खुलेआम वसूली करते रहे।