
नई दिल्ली। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट जज ने अडानी से संबंधित रिपोर्टिंग पर लगाए गए प्रतिबंधात्मक आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश पहले सीनियर सिविल जज ने पारित किया था, जिसके तहत कई यूट्यूब चैनलों और पत्रकारों को अपने आर्टिकल और वीडियो डिलीट करने के लिए कहा गया था। डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा कि पत्रकारों का पक्ष सुने बिना इस तरह का आदेश देना उचित नहीं था। सुनवाई के दौरान यूट्यूब पत्रकारों की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर और नकुल गांधी ने तर्क दिया कि जून 2024 के एक आर्टिकल को लेकर एकतरफा आदेश पारित किया गया और पत्रकारों को अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई और दो-तीन दिन का भी नोटिस क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अडानी इंटरप्राइजेज जैसी बड़ी कंपनी दावा कर रही है कि कुछ खबरों से उसे संकट खड़ा हो रहा है, जबकि विवादित आर्टिकल में कंपनी के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। बता दें कि 6 सितंबर को सीनियर सिविल जज अनुज कुमार सिंह ने अडानी से संबंधित सभी रिपोर्ट और वीडियो डिलीट करने का आदेश दिया था। इसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कई पत्रकारों और यूट्यूब चैनलों को नोटिस जारी कर वीडियो हटाने को कहा। जिन प्रमुख चैनलों और पत्रकारों पर असर पड़ा, उनमें न्यूज लाउंड्री, अभिसार शर्मा, ध्रुव राठी, रवीश कुमार ऑफिशियल, द देशभक्त, दीपक शर्मा, प्रज्ञा का पन्ना, अजीत अंजुम, एचडब्ल्यू न्यूज इंग्लिश और प्रांजय ऑनलाइन शामिल हैं। डिस्ट्रिक्ट जज के ताज़ा आदेश से इन पत्रकारों और चैनलों को राहत मिली है।




