वी. बी. माणिक
वाराणसी। वाराणसी रेलवे स्टेशन को पूरी तरह से अपराध मुक्त बनाने के लिए रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) के निरीक्षक संदीप कुमार यादव ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस अभियान के तहत, उन्होंने सिपाही प्रमोद कुमार और निशा को विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के डीआरएम द्वारा दोनों सिपाहियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
वाराणसी रेलवे स्टेशन पर हाल के महीनों में चोरों और दलालों की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई थी। जीआरपी इन अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ साबित हो रही थी। ऐसे में निरीक्षक संदीप कुमार यादव ने अपने दो सिपाही प्रमोद कुमार और निशा को इस समस्या से निपटने के लिए नियुक्त किया।पिछले दो महीनों में, इन दोनों सिपाहियों ने सैकड़ों मोबाइल फोन और बड़ी मात्रा में अवैध शराब पकड़ी है, जिससे उन्होंने साबित किया है कि रेल सुरक्षा बल में कर्तव्यनिष्ठ और साहसी जवान भी हैं। इसके अलावा, उन्होंने करीब दो लाख रुपये के अवैध आरक्षण टिकट भी जब्त किए हैं, जो उनके उत्कृष्ट कार्य का एक और प्रमाण है।
नाबालिगों की सुरक्षा और पुनर्वास में सराहनीय कार्य
निरीक्षक संदीप यादव के नेतृत्व में सिपाही निशा और प्रमोद ने नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने उन बच्चों को उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया है जो स्टेशन से गायब हो गए थे। निशा के इस सराहनीय कार्य के कारण उनके नाम को राष्ट्रपति पुरस्कार हेतु आवेदन करने की भी तैयारी चल रही है।हालांकि, इस अभियान के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे भी सामने आए हैं। उत्तर रेलवे के आईजी अंबिका नाथ मिश्रा पर आरोप है कि वे ऐसे कर्मठ सिपाहियों को प्रोत्साहित करने का कार्य नहीं करते हैं, बल्कि केवल अनूप सिन्हा जैसे लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। इस स्थिति में, रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) और जीआरपी के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर किया गया है। जीआरपी को अभी भी भारतीय न्याय संहिता पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, जो कि अब तक उनके द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया है। जीआरपी को अब आरपीएफ के सहयोग से आगे बढ़ना चाहिए और अपने कार्यों में सुधार लाना चाहिए।