
मुंबई। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण को बेहतर बनाने और बालिकाओं के जन्म के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को महाराष्ट्र में तेज गति से लागू किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एकीकृत बाल विकास परियोजना के माध्यम से संचालित इस योजना के सफल क्रियान्वयन से माताओं का स्वास्थ्य, परिवार की खुशहाली और राज्य का समग्र विकास सुनिश्चित होगा। इस योजना के तहत 36 जिलों में जिला नोडल अधिकारियों, बाल विकास परियोजना अधिकारियों और मुख्य सेविकाओं की मैपिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस वर्ष 40,000 महिलाओं का पंजीकरण किया जा चुका है, जबकि केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए 5.7 लाख का लक्ष्य निर्धारित किया है। विभाग द्वारा शेष लक्ष्य को समयसीमा में पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लंबित लाभार्थियों को उनका लाभ दिलाने हेतु आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा सेविकाओं की मदद ली जा रही है। यह योजना 2017 से लोक स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लागू की जा रही है। अब तक 46 लाख 29 हजार 119 महिलाएं इसका लाभ उठा चुकी हैं। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई और पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, दूसरी संतान यदि लड़की होती है तो अतिरिक्त आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है। योजना के तहत गर्भावस्था के पंजीकरण के छह माह के भीतर प्रसवपूर्व जांच के लिए 3,000 रुपये और बच्चे के जन्म के बाद 2,000 रुपये दिए जाते हैं, जिससे पहले बच्चे के लिए कुल 5,000 रुपये की सहायता मिलती है। दूसरी संतान के रूप में लड़की होने पर अतिरिक्त 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। इस योजना का लाभ उन परिवारों को मिलता है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख से कम है और जिनके पास अनुसूचित जाति/जनजाति प्रमाणपत्र, बीपीएल राशन कार्ड, आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना, ई-श्रम कार्ड, किसान सम्मान निधि, मनरेगा जॉब कार्ड या खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत राशन कार्ड जैसे दस्तावेज उपलब्ध हैं। महिलाएं निकटतम आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में आवेदन कर योजना का लाभ उठा सकती हैं।