
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने मुंबई पुलिस द्वारा किए गए रोहित आर्या एनकाउंटर पर राज्य सरकार से कड़े सवाल पूछे। अक्टूबर में पवई स्थित एक एक्टिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को एयरगन और केमिकल के साथ बंधक बनाने वाले 50 वर्षीय रोहित आर्या को पुलिस ऑपरेशन में गोली लगी थी, जिसके बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। वडेट्टीवार ने सवाल उठाया कि जब आर्या आतंकवादी नहीं था तो उसे मारने की जरूरत क्यों पड़ी और सिर्फ पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई। उन्होंने यह भी कहा कि आर्या पहले “मेरा स्कूल सुंदर स्कूल” और सफाई मॉनिटर प्रोजेक्ट में काम कर चुका था, लेकिन सरकार द्वारा उसका भुगतान रोक दिया गया था। उनके अनुसार, आर्या ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह आतंकवादी नहीं है और उसके पेमेंट दिए जाएँ। वडेट्टीवार ने यह भी सवाल किया कि घटना के वक्त एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अधिकारी मौके पर इतनी आसानी से कैसे मौजूद था। गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने जवाब दिया कि पुलिस ने पूरी कार्रवाई आत्मरक्षा में की क्योंकि आर्या ने छोटे बच्चों को बंधक बनाया था और पुलिस की कार्रवाई में कोई गलती नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि मानवाधिकार आयोग इस मामले की जांच पहले से कर रहा है। इस बीच, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 नवंबर को शोभा बुद्धिवंत द्वारा दायर वह याचिका वापस लेने की अनुमति दी जिसमें कथित “फर्जी एनकाउंटर” की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आर्या को एक राजनीतिक नेता के निर्देश पर आत्मरक्षा के नाम पर मार दिया गया। वार्ता के दौरान उठे प्रश्नों ने इस पूरे एनकाउंटर पर पुलिस कार्रवाई, राजनीतिक हस्तक्षेप और मानवाधिकार संबंधी पहलुओं को लेकर कई गंभीर बहसों को जन्म दे दिया है।




