
मुंबई। मुंबई को झोपड़पट्टी-मुक्त शहर बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ‘स्लम क्लस्टर पुनर्विकास योजना’ लागू करने का निर्णय लिया है। सरकार का दावा है कि इस योजना से झोपड़पट्टी क्षेत्रों का समग्र विकास होगा और लाखों लोगों के जीवन में सुधार आएगा। शासनादेश के अनुसार, 50 एकड़ से अधिक जमीन पर यदि 51 प्रतिशत या उससे अधिक हिस्सा झोपड़पट्टियों से घिरा है, तो उस क्षेत्र को क्लस्टर पुनर्विकास के तहत लाया जाएगा। इस प्रक्रिया में झोपड़पट्टी मालिक की सहमति अनिवार्य नहीं होगी और निजी, सरकारी व अर्ध-सरकारी सभी प्रकार की भूमि को इस योजना में शामिल किया जा सकेगा। इसके साथ ही पुरानी, जर्जर, खतरनाक इमारतें, चालें, किरायेदार इमारतें और उपकर वाली इमारतों को भी पुनर्विकास में जोड़ा जाएगा, ताकि बड़े पैमाने पर आवासीय सुधार किए जा सकें।
सांताक्रूज़ पूर्व गोलीबार एसआरए का 18 साल पुराना जख्म—निवासी बोले, शिवालिक वेंचर्स द्वारा किया जा रहा शोषण
जहाँ सरकार नई क्लस्टर पुनर्विकास योजना को शहर के भविष्य के लिए ऐतिहासिक बता रही है, वहीं सांताक्रूज़ (पूर्व) गोलीबार योजना जो पहले से क्लस्टर पुनर्विकास योजना के तहत सबसे भ्रष्ट विकासक शिवालिक वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड विशेष अधिकार का दुरुपयोग कर सिर्फ गरीबो का शोषण ही किया है। 18 साल से विकास के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है। तोड़े गए झोपड़ी धारको को सालो से भाड़ा नहीं किया है। विकास के नाम पर सिर्फ झोपड़े तोड़े और लोगो को बेघर किया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि शिवालिक वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा वर्षों से उनका शोषण किया जा रहा है और परियोजना का काम प्रकार से ठप पड़ा है। एसआरए विभाग का दावा है कि लटकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त की जाएगी, मगर सच यह है कि इस क्षेत्र में विकास की जगह सिर्फ इंतज़ार और असंतोष बढ़ा है। यह मामला बताता है कि योजनाएं कितनी भी आकर्षक क्यों न हों, उनका असली असर तभी होगा जब जमीन पर ईमानदारी से क्रियान्वयन हो।
क्लस्टर निर्धारण से लेकर डेवलपर चयन तक नई व्यवस्था—उच्च स्तरीय समिति के हाथ में मंजूरी, 40 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले डेवलपर को प्राथमिकता
नई योजना के तहत स्लम क्लस्टर का निर्धारण एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करेंगे, जिसके बाद उच्च स्तरीय समिति उसका अनुमोदन करेगी। इस समिति में गृह निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे और नगर विकास विभाग, बीएमसी आयुक्त, एसआरए के सीईओ सहित संबंधित प्राधिकरणों के सदस्य मौजूद रहेंगे। सरकारी एजेंसियां निविदाओं या संयुक्त उपक्रम के माध्यम से डेवलपर नियुक्त करेंगी और अगर किसी डेवलपर के पास क्लस्टर क्षेत्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है, तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। गैर-स्लम इमारतों को शामिल करने पर डेवलपर को विकास अधिकार (TDR/FSI) की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी। सरकार का कहना है कि यह ढांचा पुनर्विकास को गति देगा, लेकिन अधर में लटकी पुरानी परियोजनाएँ और धीमा सर्वे इस नीति की सफलता पर अभी भी कई सवाल खड़े करते हैं।
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