
नागपुर। राज्य में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण (नॉइज़ पॉल्यूशन) के गंभीर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसे रोकने के लिए पर्यावरण विभाग और पुलिस प्रशासन लगातार सख्त कदम उठा रहे हैं, लेकिन इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है। यह बात राज्य की पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे ने रविवार को विधान परिषद में कही। विधान परिषद में सदस्य श्रीकांत भारतीय ने नियम 97 के तहत डीजे से होने वाले शोर और उस पर नियंत्रण को लेकर अल्पकालीन सूचना प्रस्तुत की थी। इस विषय पर हुई चर्चा में सदस्य अमोल मिटकरी ने भी भाग लिया। चर्चा का उत्तर देते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के संबंध में स्पष्ट मानक निर्धारित किए गए हैं। रात्रि के समय आवासीय क्षेत्रों और शांत क्षेत्रों में ध्वनि की सीमा को लेकर विशेष प्रतिबंध लगाए गए हैं। पंकजा मुंडे ने बताया कि निर्धारित मानकों के उल्लंघन की शिकायत मिलते ही पुलिस प्रशासन तत्काल कार्रवाई करता है। ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित की गई है, जिसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर प्रभावी निगरानी और कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन की ओर से किए जा रहे प्रयास तभी सफल हो सकते हैं, जब नागरिक स्वयं नियमों का पालन करें और जागरूकता दिखाएं। केवल कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने से ही नॉइज़ पॉल्यूशन पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।पर्यावरण मंत्री ने सोलापुर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां डीजे के उपयोग पर रोक लगाने के लिए सराहनीय कदम उठाए गए हैं। इसी तरह राज्य के अन्य जिलों में भी ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त और समन्वित प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनस्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है और इस दिशा में आगे भी कठोर निर्णय लिए जाएंगे।




