
मुंबई। महाराष्ट्र ग्राम सामाजिक परिवर्तन फाउंडेशन (VSTF) की पाँचवीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कॉर्पोरेट और निजी संस्थाओं से अपील की कि वे अपने सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्य केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रखकर ग्रामीण और पिछड़े जिलों में निवेश कर व्यापक सामाजिक परिवर्तन लाएँ। उन्होंने कहा कि व्हीएसटीएफ के नए चरण में सरकारी योजनाओं और निजी भागीदारी के समन्वय से तेज़ और प्रभावी बदलाव संभव है। बैठक में सिद्धिविनायक ट्रस्ट के अध्यक्ष सदा सरवणकर, मुख्य सचिव राजेश कुमार, ग्राम विकास विभाग के प्रधान सचिव एकनाथ डवले, प्रबंध निदेशक प्रवीण सिंह परदेशी, टाटा समूह के अध्यक्ष नोएल टाटा, JSW समूह की संगीता जिंदल, आईडीबीआई के प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा और अन्य सदस्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर एसटीएल लिमिटेड की जलसंधारण रिपोर्ट का प्रकाशन और लातूर स्थित रावसाहेब पाटिल किसान उत्पादक कंपनी के वेयरहाउस का ई-लोकार्पण हुआ। साथ ही क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और व्हीएसटीएफ के बीच गुणवत्ता प्रबंधन के लिए तथा “हरित छत्रपति संभाजीनगर” अभियान हेतु विभिन्न समझौते किए गए। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले चरण में व्हीएसटीएफ की पहल से अनेक गाँवों में सकारात्मक बदलाव हुए और निजी कंपनियों ने न केवल आर्थिक सहयोग दिया, बल्कि नीतिगत सुझाव, तकनीकी नवाचार और डेटा-आधारित उपाय भी साझा किए। उन्होंने कहा कि आगे की रणनीति में स्थानीय मानव संसाधन और संस्थागत ढाँचे को मज़बूत किया जाएगा ताकि योजनाओं की गति स्थायी रहे। बैठक में महिला सशक्तिकरण की दिशा में “लखपति दीदी” योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए बताया गया कि दो वर्षों में महाराष्ट्र की 50 लाख महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त बनी हैं। टाटा समूह ने विदर्भ और पिछड़े क्षेत्रों में 20–25 प्रतिशत सीएसआर फंड निवेश जारी रखने का आश्वासन दिया, जबकि जेएसडब्ल्यू समूह गडचिरोली के 50 गाँवों सहित अलीबाग और चंद्रपुर में विकास कार्य करेगा। आईडीबीआई ने पाँच जिलों के 104 गाँवों में सामाजिक पहल जारी रखने और प्रत्येक शाखा द्वारा एक स्कूल तथा प्रत्येक डिविजनल कार्यालय द्वारा एक अस्पताल को दत्तक लेने की घोषणा की। व्हीएसटीएफ के प्रबंध निदेशक प्रवीण सिंह परदेशी ने सुझाव दिया कि “मिशन महा कर्मयोगी” पहल को पूरे राज्य में लागू कर गाँव स्तर पर सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए।