राष्ट्र कमजोर भी हो तो सरकार का दायित्व बनता है कि वह पूरे देश को विश्वास में ले और सच्चाई बताए। यदि ऐसा किया जाएगा तो जनता किसी भी समय किसी समस्या से निपटने के लिए तन मन और धन अर्पित कर देगी। जिन्होंने 1965 का युद्ध देखा है। शास्त्री जी की एक पुकार पर जय जवान जय किसान पर अर्पित कर दी जनता ने। पश्चिमी मोर्चे पर जब हमारे सैनिकों के ट्रक जा रहे थे तब भारतीय महिलाओं ने अपने आभूषण उतार कर अर्पित कर दिए। हमने भी सन 1962 में प्रधान मंत्री नेहरू के आह्वान पर जूते पोलिश कर उस समय पी एम कोश में पोलिश में मिले पैसे कॉलेज के माध्यम से भेजा था।बांग्लादेश को आजाद कराने के बाद हर टिकट पर 15 पैसे बांग्लादेश टैक्स लगाया गया था।पूरे देशवासियों ने भार उठा लिया। बाजपेई ने सड़क निर्माण के लिए पेट्रोल डीजल पर एक रुपए अधिभार लगाया तो किसी ने विरोध नहीं किया। मोदी ने सब्सिडी छोड़ने की बात कही तो करोड़ों ने सब्सिडी स्वेच्छया छोड़ दिया। यानी जब देश किसी संकट में पड़ा पीएम के एक आह्वान पर जनता ने अर्पन कर दिया। जनता ही राष्ट्र है। जिसे हमारा संविधान ने संप्रभु कहा है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, मंत्रिपरिषद और सुप्रीम कोर्ट को नहीं। वास्तव में सरकार को जनता की सम्मति से ही कोई कानून और नीति तय करनी चाहिए लेकिन होता नहीं। जनता के सारे अधिकार छीन कर उसे शासित गुलाम बना दिया गया। चीन ने सन1962 में हमारे देश पर हमला कर दिया और हजारों वर्गमील भारत भूमि पर कब्जा कर लिया। संसद में नेहरू ने उस जमीन को बेकार और बंजर कहा तो उनके बयान की भर्त्सना की गई।सोशलिस्ट पार्टी के लीडर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने सदन में जमकर खिंचाई की थी आज भी चीन अपने उसी विस्तार वादी नीति पर चल रहा। अपने पड़ोसी देशों की एक एक इंच जमीन पर अपना कब्जा ठीक उसी तरह करता है जैसे गांव में कुछ लोग हर साल मेड काटकर अपना खेत बढ़ाया करते हैं। हमसे तीन साल बाद चीन आजाद हुआ लेकिन उसने अपना उत्पाद बढ़ाने के लिए मैन्यू फ्रैक्चर को संगठित किया जिसके फल स्वरूप उसने अपने सस्ते प्रोडक्ट को भारत जैसे राष्ट्रों में हब बना लिया। गाहे बेगाहे चीनी माल के बॉयकॉट की आवाज उठती रहती है। सोशल मीडिया पर बहिष्कार हो जाता है झालर का मगर उसका हर सामान सस्ता होंने से भारतीय उसे खरीदते हैं। भले ही वह क्वालिटी प्रोडक्ट नहीं बनाता लेकिन उसके हार्डवेयर प्राय हर देश खरीदता है। जिससे उसकी इकॉनमी आज विश्व की नंबर दो है। फौज हो या तेकनोलजी हम उसके सामने कहीं नहीं ठहराते। हम तो क्या अमेरिका शक्तिशाली होने के बावजूद चीन से भिड़ना नहीं चाहता।
सुखद है कि मोदी ने विपक्ष को ही खत्म कर दिया जो सदन में सवाल पूछता। कांग्रेस थोक में विरोधी दलों की सरकारें बर्खास्त करती रही लेकिन भाजपा ने तो आईबी का सहारा लेकर सभी विरोधी नेताओं को भयभीत कर दिया है। मज़ेदार बात यह कि जब कोई विरोधी नेता भाजपा में शामिल हो जाता है तो वह बेईमान नहीं रह जाता। ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिल जाता है। जब विपक्ष ही नहीं रहेगा तो सरकार निरंकुश हो जाती है जैसा कि आज है। स्मरणीय है कि छोटा सा वियतनाम ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र से बीस वर्षो तक युद्ध लड़ा और पराजित नहीं हुआ क्योंकि वहां के शासन ने जनता को विश्वास में लेकर ही अमेरिका का सामना किया। बच्चा बच्चा सैनिक बन गया। यहां तक कि लड़कियों ने भी हथियार उठा लिए और जंग लड़ी।