
देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु रविवार को तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचीं। देहरादून एयरपोर्ट पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया। इसके बाद राष्ट्रपति हरिद्वार पहुंचीं, जहां उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी। उन्होंने छात्राओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए इसे देश के उज्जवल भविष्य का प्रतीक बताया। समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत के महान व्यक्तित्वों ने विश्व की संस्कृति और ज्ञान परंपरा को समृद्ध किया है। उन्होंने महर्षि पतंजलि का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने योग से मन की अशुद्धियों को दूर किया, व्याकरण से वाणी को सुधारा और आयुर्वेद से शरीर को स्वस्थ बनाया। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय महर्षि पतंजलि की इन महान परंपराओं को समाज से जोड़ने का कार्य कर रहा है, जो अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और शोध को नई दिशा दे रहा है। इस प्रकार के प्रयास ‘स्वस्थ भारत’ के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय की भारत-केंद्रित शिक्षा दृष्टि की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह शिक्षा पद्धति वैदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय प्रस्तुत करती है, जो विश्वबंधुत्व की भावना को सशक्त करती है। राष्ट्रपति ने छात्रों से पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान तभी संभव है जब युवा वर्ग पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र भविष्य में स्वस्थ, नैतिक और सशक्त समाज के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा- जब हम एक व्यक्ति को पोषित करते हैं, तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे परिवार, समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय इसी दृष्टिकोण से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है और उन्हें आशा है कि यहां से स्नातक होने वाले विद्यार्थी अपने ज्ञान, आचार और सेवा से देश की प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।




