
मुंबई। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आज़मी को मुगल बादशाह औरंगजेब पर टिप्पणी करने के कारण महाराष्ट्र विधानसभा के पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया, जिस पर उन्होंने निराशा व्यक्त की। आज़मी ने कहा कि उन्होंने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने के लिए बयान वापस लेने की पेशकश की थी, लेकिन फिर भी उन्हें निलंबित कर दिया गया। सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी आज़मी के निलंबन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। अगर विचारधारा के आधार पर निलंबन होने लगे, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या फर्क रह जाएगा? अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि निलंबन से सपा के नेताओं को चुप नहीं कराया जा सकता। बुधवार को विधानसभा में उनके बयान के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, जिसे अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पारित किया। संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि आज़मी के आपत्तिजनक बयान से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है, इसलिए उन्हें निलंबित किया गया। अबू आज़मी ने कथित रूप से कहा था कि औरंगजेब क्रूर प्रशासक नहीं था, उसने कई मंदिर बनवाए। मुगल बादशाह और छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई राज्य प्रशासन के लिए थी, न कि हिंदू और मुस्लिम के लिए। विवाद बढ़ने के बाद आज़मी ने सफाई देते हुए कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और अगर किसी को ठेस पहुंची है तो वह अपना बयान वापस लेते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को राजनीतिक रूप दिया जा रहा है और इससे महाराष्ट्र के बजट सत्र का कामकाज प्रभावित हो रहा है। इससे पहले, उनकी टिप्पणी के संबंध में ठाणे के नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ शून्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसे बाद में मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया।