
मुंबई। संभाजी नगर (औरंगाबाद) में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल द्वारा कब्र को हटाने की मांग के बाद कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने विहिप और बजरंग दल पर निशाना साधते हुए कहा कि ये संगठन महाराष्ट्र के लोगों को शांति से नहीं रहने देना चाहते। उन्होंने कहा उनके पास करने के लिए और कुछ नहीं बचा है… वे नहीं चाहते कि महाराष्ट्र के लोग शांति से रहें… वे राज्य के विकास की गति को धीमा करना चाहते हैं। औरंगजेब 27 साल तक यहां था और वह राज्य के लिए कुछ नहीं कर सका; अब उसकी कब्र को हटाने के बाद उन्हें क्या मिलेगा? कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अतुल लोंधे पाटिल ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- बिजली और पानी न मिलने से किसान आत्महत्या कर रहे हैं… बेरोजगारी बढ़ गई है… इन सभी मुद्दों को छिपाने के लिए भाजपा हिंदू और मुसलमान के नए मुद्दे लेकर आती है… लोग इस बार उनके झांसे में नहीं आने वाले हैं।
बजरंग दल की चेतावनी
इससे पहले, बजरंग दल के नेता नितिन महाजन ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करते हुए कहा था कि अगर सरकार इसे नहीं हटाती, तो इसका हाल भी बाबरी मस्जिद जैसा होगा। उन्होंने कहा- संभाजीनगर में (औरंगजेब की) कब्र की पूजा की जा रही है। संभाजी के हत्यारे की कब्र बनाई जा रही है… जब ऐसी कब्रों की पूजा की जाती है, तो समाज भी उसी तरह विकसित होता है… अगर सरकार कब्र नहीं हटाती, तो हम कारसेवा करेंगे और खुद ऐसा करेंगे। भाजपा नेता और गोशामहल के विधायक टी राजा सिंह ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा खर्च किए गए धन का ब्यौरा मांगा। करदाताओं के पैसे का एक भी रुपया उस तानाशाह की कब्र के रखरखाव पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए, जिसने हमारे पूर्वजों को भारी पीड़ा पहुंचाई। सरकार को इस स्थल पर आगे होने वाले किसी भी खर्च को तुरंत रोकने पर विचार करना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब बजरंग दल और विहिप ने आरोप लगाया कि इस कब्र की पूजा की जा रही है और इसे हिंदू संस्कृति के खिलाफ बताया। वहीं, कांग्रेस ने इस विवाद को जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया है। यह मामला अब राजनीतिक रूप ले चुका है, जिसमें हिंदू-मुस्लिम मुद्दे की आड़ में पक्ष-विपक्ष अपनी सियासत चमकाने में जुटे हैं। देखना होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।