
सतारा। फलटण में महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संवेदनशील प्रकरण की जांच के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक को वरिष्ठ महिला अधिकारियों के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है। फडणवीस का कहना है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, इसलिए यह कदम उठाया गया है। इस आदेश से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से जांच एसआईटी को सौंपने की मांग की जा रही थी। वहीं, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट की नेता सुषमा अंधारे ने एसआईटी पर भरोसा जताने से इनकार किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जांच अधिकारी फलटण में शिक्षित हैं और उन पर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। अंधारे ने कहा कि ऐसी स्थिति में जांच निष्पक्ष कैसे हो पाएगी? उन्होंने उच्च न्यायालय की निगरानी में उच्च-स्तरीय जांच कराने की मांग की है। अंधारे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नेता एसआईटी के गठन का श्रेय लेने में लगे हैं, जबकि जनता निष्पक्ष जांच की अपेक्षा कर रही है। सुषमा अंधारे ने कहा- कल सुबह फलटण पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस अधिकारियों से सीधे सवाल करेंगी। उन्होंने कहा कि यह मामला आत्महत्या नहीं बल्कि संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु का है, और इसे ‘हत्या या आत्महत्या’ के रूप में स्पष्ट रूप से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. संपदा मुंडे ने चार पन्नों का पत्र लिखा था, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह सुसाइड नोट नहीं था? उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले फलटण के उपजिला अस्पताल में कार्यरत महिला डॉक्टर डॉ. संपदा मुंडे ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। बताया गया कि उन्होंने अपने हाथ पर सुसाइड नोट लिखा था। इस घटना के बाद पूर्व भाजपा सांसद रणजीतसिंह नाइक-निंबालकर के दो निजी सहायकों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उनसे एक मरीज की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलवाने का दबाव बनाया गया था। इस मामले की जटिलता बढ़ती जा रही है और अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गठित होने वाली एसआईटी टीम और उसकी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं।




