
मुंबई। महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय और नगर निकाय चुनावों को लेकर विपक्षी दलों ने बुधवार को सर्वसम्मति से चुनाव स्थगित करने की मांग की। उनका कहना है कि जब तक चुनाव आयोग (ईसीआई) मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधार नहीं लेता, तब तक चुनाव कराना उचित नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, वरिष्ठ राकांपा नेता जयंत पाटिल, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट, मनसे प्रमुख राज ठाकरे और समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख सहित अन्य नेताओं ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एस. चिकालिंगम और राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) दिनेश वाघमारे से मुलाकात कर आगामी चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराने पर जोर दिया।
विपक्षी नेताओं की मुख्य चिंताएँ
उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए और मतदाता सूची में पाई जाने वाली खामियों के कारण चुनाव रद्द कर देना ही बेहतर है। उन्होंने आरोप लगाया कि वीवीपैट का उपयोग न करने से चुनावी सबूत मिट जाएंगे। ठाकरे ने यह भी सवाल उठाया कि 1 जुलाई के बाद 18 साल पूरे करने वालों को वोट देने का अधिकार क्यों नहीं मिल सकता।
एनसीपी (एसपी) के जयंत पाटिल ने कहा कि अगर विधानसभा चुनावों की पुरानी मतदाता सूची का इस्तेमाल स्थानीय चुनावों में किया गया, तो घोटाला जारी रहेगा। उन्होंने फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए गहन जांच की मांग की। पूर्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि पुरानी सूची में कई खामियाँ हैं और इसकी कोई समीक्षा नहीं की गई। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने चेतावनी दी कि मतदाता सूची में त्रुटियाँ सुधारने के बिना चुनाव करवाए जाने पर यह घोटाला साबित होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष दिनेश वाघमारे ने बताया कि पुरानी मतदाता सूची का इस्तेमाल किया जा रहा है और 1 जुलाई की तिथि तय की गई है। सूची में नाम हटाना या बदलना आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
उद्धव ठाकरे ने इस अवसर पर सवाल उठाया कि मतदाता सूची की जिम्मेदारी वास्तव में राज्य की है या केंद्र की। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्रीय अधिकारियों के बीच ज़िम्मेदारी स्पष्ट नहीं है और इस स्थिति में गलतियों के साथ चुनाव कराना जनता के अधिकार के खिलाफ होगा।
