
मुंबई। सोमवार से शुरू हो रहे महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र की पूर्वसंध्या पर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा आयोजित चायपान कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा करते हुए कहा कि “राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, किसानों की बदहाली और सरकार में शामिल मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों” को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
‘भ्रष्टाचार और अत्याचार का सत्र’
अंबादास दानवे ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा, “सत्ताधारी दल के नेता विभिन्न आपराधिक मामलों में लिप्त हैं और उन्हें प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इन्हें बचाने में लगे हैं। बीजेपी और गद्दारों की मिलीभगत ने महाराष्ट्र को गर्त में पहुंचा दिया है।
“चायपान में शामिल होना पाप” – आदित्य ठाकरे
इस मौके पर मौजूद शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र विरोधी इस सरकार के चायपान में शामिल होना पाप है। जिन नेताओं पर खुद मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, वही आज उनके साथ बैठे हैं।”
उन्होंने समृद्धि महामार्ग पर व्यंग्य करते हुए कहा, “मेरे दादाजी के नाम पर बने महामार्ग पर गड्ढे हैं, और नदी बह रही है। यह सब क्या हो रहा है?
कांग्रेस और एनसीपी ने भी साधा निशाना
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि “सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। फंड के लिए प्रतिशत तय करना पड़ता है। प्याज, कपास और सोयाबीन को सही दाम नहीं मिल रहे। सत्ता में आते ही सरकार ने जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
एनसीपी (शरद पवार गुट) के जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “महायुती सरकार राजनीतिक रूप से पूरी तरह विफल है, अब इनका राजनीतिक तमाशा हास्यास्पद और घृणित बन चुका है। वहीं, सतेज पाटील ने सरकार से सवाल किया, “शक्तिपीठ महामार्ग के खिलाफ जब 12 जिलों के किसान विरोध कर रहे हैं, तो इसे राजनीतिक रंग क्यों दिया जा रहा है? यह महामार्ग राज्य की अर्थव्यवस्था पर बोझ साबित होगा।
विपक्ष के नेताओं की एकजुटता
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभू, सचिन अहिर, कांग्रेस के अमीन पटेल, सतेज पाटील, एनसीपी के शशिकांत शिंदे सहित तमाम विपक्षी नेता मौजूद रहे। सभी ने मानसून सत्र में सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की रणनीति पर चर्चा की। महाविकास अघाड़ी के चायपान बहिष्कार के ऐलान ने विधानसभा सत्र से पहले राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। किसानों की बदहाली, महंगाई, भ्रष्टाचार और भाषा विवाद जैसे मुद्दों के साथ यह सत्र सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला।