पुणे। महाराष्ट्र सरकार के हालिया कैबिनेट विस्तार में एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को शामिल नहीं करने पर राज्य में विरोध प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं। रविवार से शुरू हुआ यह विरोध मंगलवार को पुणे में भी देखने को मिला, जहां ओबीसी समुदाय ने कलेक्टर ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। पुणे में छगन भुजबल को मंत्री पद न दिए जाने से नाराज ओबीसी समुदाय के सदस्यों ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने इसे ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय करार दिया और भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग की।
नासिक में एनसीपी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
रविवार को नासिक में छगन भुजबल के समर्थकों ने एनसीपी ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने जोरदार हंगामा किया और टायर जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। देवेंद्र फडणवीस सरकार के कैबिनेट विस्तार के दौरान कुल 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें एनसीपी (अजित पवार गुट) के 9 विधायक शामिल थे। लेकिन पार्टी के दिग्गज नेता छगन भुजबल, जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं, को जगह नहीं दी गई।
भुजबल समर्थकों की नाराजगी
छगन भुजबल के समर्थक इसे ओबीसी समुदाय की उपेक्षा के रूप में देख रहे हैं। भुजबल के समर्थकों का कहना है कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करना न केवल उनके कद का अपमान है, बल्कि यह ओबीसी समुदाय के साथ भी अन्याय है। प्रदर्शनकारियों ने इस निर्णय के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया। प्रदर्शन में शामिल लोगों का मानना है कि पार्टी में भुजबल की अनदेखी से ओबीसी समुदाय को गलत संदेश जा रहा है, जिससे आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है। छगन भुजबल, महाराष्ट्र के एक कद्दावर नेता और ओबीसी समुदाय का बड़ा चेहरा हैं। उन्हें मंत्री पद न दिए जाने से एनसीपी (अजित पवार गुट) में अंदरूनी कलह की संभावनाएं बढ़ रही हैं। साथ ही, ओबीसी समुदाय में इस फैसले के खिलाफ उभर रही नाराजगी, महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है। कैबिनेट विस्तार में छगन भुजबल को नजरअंदाज करने का विवाद अब अजित पवार गुट के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। यह देखना अहम होगा कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है और ओबीसी समुदाय को संतुष्ट करने के लिए क्या कदम उठाता है।