
नागपुर। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को अभियंताओं को स्पष्ट निर्देश दिए कि उन्हें ‘चल जाता है’ वाला दृष्टिकोण छोड़ कर गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि यह उनकी कार्य नीति और नैतिकता का हिस्सा है। उन्होंने यह बात इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संगोष्ठी पर कही, जिसका विषय था फोरेंसिक सिविल इंजीनियरिंग। गडकरी ने सड़क और भवन निर्माण में ‘प्री-कास्टिंग’ तकनीक को अपनाने की वकालत की। उनका कहना था कि एक बार डिजाइन पैटर्न तैयार हो जाए तो निर्माण लागत में कमी आएगी और गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा- इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रगति हो रही है, लेकिन अभियंताओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्माण घटिया गुणवत्ता का न हो। हमें उत्पादन लागत कम करने और निर्माण गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता है। उन्होंने अभियंताओं को यह चेतावनी भी दी कि सरकारी सिविल कार्यों में ‘चल जाता है’ रवैये को छोड़ना होगा और पुलों व संरचनाओं के ढहने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए अनुसंधान और ऑडिट पर जोर देना होगा। गडकरी ने कहा कि जो लोग दुर्भावनापूर्ण या लापरवाह गलतियाँ करते हैं, उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों और निजी ठेकेदारों को विश्व मानकों के अनुरूप कार्य करना होगा और गुणवत्ता व नई तकनीकों में कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने अभियंताओं से सड़क और भवन निर्माण में प्री-कास्टिंग को प्राथमिकता देने का आग्रह किया ताकि दुर्घटनाओं की संभावना कम हो और लागत में कमी आए।
नवाचार पर बोलते हुए गडकरी ने कहा कि रेत की कमी के समाधान के लिए पत्थर के चूरे का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का उदाहरण दिया जिन्होंने नदियों और झीलों की सफाई कर सड़क निर्माण में सामग्री के उपयोग को मंजूरी दी। उन्होंने अमृत सरोवर मिशन का भी उल्लेख किया, जिसके तहत महाराष्ट्र में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा 1000 से अधिक जल निकायों का पुनरुद्धार किया गया।