Saturday, December 6, 2025
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छिंदवाड़ा में किडनी इन्फेक्शन से 9 बच्चों की मौत — सरकारी डॉक्टर के निजी क्लीनिक से जुड़ा मामला, दवाइयों पर जांच तेज

छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश। परासिया विकासखंड में किडनी इन्फेक्शन से नौ बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि मृत बच्चों में से सात का इलाज सिविल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीन सोनी के निजी क्लीनिक में किया गया था। डॉक्टर सोनी छुट्टी पर होने के बावजूद अपने निजी क्लीनिक में इलाज कर रहे थे, जहां से बच्चों को कोल्डरिफ और नेस्ट्रो डीएस सिरप दी गई थी। अब इन दोनों दवाओं पर संदेह जताया जा रहा है और उनका स्टॉक स्वास्थ्य विभाग ने जब्त कर लिया है।
डॉक्टर की पत्नी के नाम पर चलता है मेडिकल स्टोर
जानकारी के अनुसार, डॉक्टर प्रवीन सोनी के क्लीनिक के ठीक बगल में उनकी पत्नी का “अपना मेडिकल” नाम से मेडिकल स्टोर है, जहां से मरीजों को दवाइयां बेची जाती थीं। यही से वे सिरप बच्चों को दिए गए थे। परासिया एसडीएम शुभम कुमार यादव ने पुष्टि की है कि नौ में से सात बच्चों का इलाज डॉ. सोनी के निजी क्लीनिक में हुआ था। उन्होंने कहा कि, “यदि डॉक्टर अवकाश के दौरान निजी क्लीनिक में इलाज कर रहे थे तो यह नियमों का उल्लंघन है। मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
ड्रग इंस्पेक्टर ने की कार्रवाई
छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर गौरव शर्मा ने बताया कि संदिग्ध मानी जा रही दोनों सिरप का स्टॉक फिलहाल प्रतिबंधित कर दिया गया है। ये दवाइयां जबलपुर की कटारिया फार्मा कंपनी से छिंदवाड़ा के तीन मेडिकल स्टोर्स को सप्लाई की गई थीं। कोल्डरिफ सिरप की कुल 660 बोतलों में से 594 बोतलें इन्हीं तीन दुकानों को भेजी गई थीं। स्वास्थ्य विभाग ने अब इन दुकानों से दवाइयों को जब्त कर लिया है। डॉ. प्रवीन सोनी ने अपनी सफाई में कहा कि वे करीब 40 सालों से बच्चों का इलाज कर रहे हैं और पिछले 15 सालों से सर्दी-जुकाम या बुखार में यही दवाइयां लिख रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं छुट्टी पर था, लेकिन इंसानियत के नाते बीमार बच्चों को लौटाना उचित नहीं लगा। मेरे पास रोज़ 100-200 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। अगर दवाइयों में कोई समस्या है, तो उसकी ज़िम्मेदारी निर्माता कंपनी की होगी, मेरी नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ़ हो सकेगा कि दवाइयों में क्या गड़बड़ी थी और क्या वाकई किडनी फेल्योर का कारण वही सिरप थे।
बता दें कि बीते सप्ताह परासिया और आसपास के इलाकों में नौ बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई थी। सभी में समान लक्षण पाए गए थे। उल्टी, पेशाब में रुकावट और कमजोरी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयों के नमूने जांच के लिए भेज दिए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने संयुक्त जांच शुरू कर दी है। शुरुआती संकेत बताते हैं कि दवाओं में रासायनिक मिश्रण या सॉल्वेंट की गुणवत्ता में गड़बड़ी हो सकती है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट आने तक अधिकारियों ने किसी नतीजे पर पहुँचने से इनकार किया है। यह घटना प्रदेश में दवा निगरानी व्यवस्था और सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर निगरानी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

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