
मुंबई। कल्याण-डोंबिवली नगर aनिगम (केडीएमसी) ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 14 अगस्त की मध्यरात्रि से 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक, 24 घंटे के लिए अपनी सीमा में सभी बूचड़खानों को बंद करने का निर्णय लिया है। यह आदेश बकरियों, भेड़ों, मुर्गियों और बड़े जानवरों से संबंधित बूचड़खानों पर लागू होगा। यह कदम 19 दिसंबर 1988 के एक प्रशासनिक प्रस्ताव के आधार पर लिया गया है, जिसे केडीएमसी के बाज़ार एवं लाइसेंसिंग विभाग की उपायुक्त कंचन गायकवाड़ ने अनुमोदित किया है। सभी बूचड़खानों को नोटिस जारी कर इस अवधि में प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्देश दिया गया है। इस निर्णय ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने इस कदम पर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा, “कल्याण-डोंबिवली में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। क्या यह उनके पिता का राज्य है? क्या कभी ऐसा कोई कानून बना है जो लोगों के खाने और बेचने पर रोक लगाए? बहुजन समाज का डीएनए मांसाहारी है और मानव दांतों की संरचना इसकी पुष्टि करती है। जिस दिन देश आज़ाद हुआ, उसी दिन आप हमारी आज़ादी छीन रहे हैं। आव्हाड ने केडीएमसी पर बहुजन समाज के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए इसे विभाजनकारी बताया। उन्होंने कहा, “यह ओबीसी बनाम मराठा, हिंदू बनाम मुस्लिम, मराठी बनाम हिंदी के बाद अब शाकाहारी बनाम मांसाहारी की राजनीति है। उन्होंने उपायुक्त कंचन गायकवाड़ की भी आलोचना करते हुए सवाल किया, यह गायकवाड़ महिला कौन है जो आदेश जारी कर रही है? उसे किसने अधिकार दिए हैं? क्या सरकार ने कल्याण-मुंबई में श्रीखंड पूरी खाने का आदेश दिया है? आव्हाड की टिप्पणियों ने इस फैसले को सांप्रदायिक और जातिगत रंग दे दिया है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक विवाद और गहराने की आशंका है। केडीएमसी ने अब तक इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।