
नागपुर। जिले के बुटीबोरी इलाके से एक दर्दनाक और झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जहां महज 35 दिन पहले विवाह के बंधन में बंधी मयूरी ठाकरे दहुले (उम्र 26) ने अपने ससुराल में शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर 30 मई को आत्महत्या कर ली। उसने अपने घर में फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना ने एक बार फिर दहेज प्रथा और विवाह के बाद होने वाली प्रताड़ना की गंभीरता को सामने ला दिया है।
शादी के महज 35 दिन बाद अंत
मयूरी की शादी 25 अप्रैल, 2025 को अभिषेक दहुले से हुई थी। शुरुआत में सब सामान्य प्रतीत हुआ, लेकिन जल्द ही उसके ससुराल वालों की असलियत सामने आने लगी। पुलिस के अनुसार, सास कुसुम दहुले, ससुर दीपक दहुले और देवर आदित्य दहुले ने उस पर लगातार दहेज के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया।
पति की चुप्पी और समर्थन
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मयूरी के पति अभिषेक दहुले ने भी उत्पीड़न के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि इसमें भागीदार बना रहा। जब मयूरी ने अपने पिता को अपनी पीड़ा के बारे में बताया, तो उन्होंने 20,000 रुपये की आर्थिक मदद भी दी, लेकिन इससे हालात नहीं बदले। प्रताड़ना लगातार जारी रही।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
घटना की सूचना मिलने पर बुटीबोरी पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। मयूरी के पिता की शिकायत पर चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया – पति अभिषेक, सास कुसुम, ससुर दीपक और देवर आदित्य। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।
दूसरे मामलों से तुलना और सामाजिक आक्रोश
यह मामला पुणे की वैष्णवी हगावने आत्महत्या की गूंज के तुरंत बाद सामने आया है, जिसने राज्य में दहेज-प्रताड़ना के खिलाफ गुस्से की लहर फैला दी है। मयूरी की आत्महत्या ने एक बार फिर समाज और सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कितनी महिलाएं शादी के बाद उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं और कितने घरों में चुपचाप दहेज की आग जल रही है। इस घटना के बाद राज्यभर में दहेज और महिला उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की मांग तेज हो गई है। सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से त्वरित न्याय, स्पेशल फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स और परिवारों की निगरानी व्यवस्था लागू करने की अपील की है।