
वी बी माणिक
मुंबई। मुंबई महानगर पालिका (मनपा) प्रशासन में भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी चरम पर है। झूठ तंत्र, लूट मंत्र और फरेब यंत्र से लैस यह तंत्र अब ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और जनसेवा से कोसों दूर हो गया है। आरोप है कि जब से आयुक्त भूषण गगरानी और अतिरिक्त आयुक्त डॉ. विपिन शर्मा ने पदभार संभाला है, योग्य अधिकारियों की भारी कमी महसूस हो रही है और कार्यों का संचालन पूरी तरह से टेंडर प्रथा पर आधारित हो गया है। मनपा के कई विभागों में वर्षों से एक ही पद पर जमे अधिकारी और कर्मचारी ट्रांसफर के बावजूद वहीं टिके हुए हैं। यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि टेंडर प्रणाली के माध्यम से इन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। वार्ड ऑफिसरों से लेकर क्लर्क, इंजीनियर, डॉक्टर, डीएमसी और यहां तक कि कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी भी इस सिस्टम का हिस्सा बताए जा रहे हैं। इन अधिकारियों को वास्तविक कार्यों से अधिक टेंडर की प्रक्रियाओं की जानकारी है। गणेशोत्सव के समय जब पूरे शहर की सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे लोगों की जान ले रहे हैं, तब भी प्रशासन मौन है। नागरिकों का आरोप है कि गड्ढे तभी भरे जाएंगे जब इसके लिए नया टेंडर आएगा, अन्यथा हालात यूं ही बिगड़ते रहेंगे। मनपा अस्पतालों में भी फर्जी डिग्री धारक डॉक्टरों के होने की शिकायतें उठ रही हैं, जिन्हें “मौत के सौदागर” तक कहा जा रहा है। आरोप है कि गगरानी और विपिन शर्मा के नेतृत्व में भ्रष्टाचार और बेईमानी की चरमसीमा छू ली गई है। जनता की समस्याओं से प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं रह गया है, जबकि राज्य सरकार भी इस पर मौन साधे बैठी है।