
मुंबई। 2017 के बहुचर्चित डाक निवेश घोटाले में महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (एमपीआईडी) अधिनियम की विशेष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने दिवंगत मुख्य आरोपी रमेश भट्ट की पत्नी योगिता भट्ट (70) और बेटी भूमिका मोहिरे (44) को सभी आरोपों से बरी कर दिया। विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस बात के कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं हैं कि योगिता और भूमिका ने निवेशकों से धन संग्रह या हेरफेर में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई। अदालत ने माना कि केवल बैंक खातों में की गई प्रविष्टियाँ और धन का ट्रांसफर आरोप तय करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने जाँच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। जाँच अधिकारी ने डाक विभाग के धन के दुरुपयोग के आरोपों को मेसर्स ड्रीम होम प्रोजेक्ट की योजनाओं के तहत कथित निवेश के साथ जोड़कर, प्रथम दृष्टया एक गंभीर भूल की। योगिता और भूमिका ने अपने वकील संदीप कार्णिक के माध्यम से बरी करने की याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि उन्होंने न तो किसी निवेशक से पैसे इकट्ठा किए और न ही किसी योजना के बारे में जानकारी दी। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि रमेश भट्ट, उनकी पत्नी और बेटी ने मिलकर माहिम के मोरी रोड डाकघर में कार्यरत रहते हुए सावधि जमा, आवर्ती जमा और मासिक आय योजनाओं में निवेश करने वाले ग्राहकों के धन का दुरुपयोग किया। इस मामले में रमेश और योगिता भट्ट के बेटे हुंकार भट्ट भी मुख्य आरोपी हैं। हुंकार की रियल एस्टेट फर्म मेसर्स ड्रीम होम प्रोजेक्ट में निवेशकों का पैसा कथित रूप से ट्रांसफर किया गया था। अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों की अनुपस्थिति और प्रत्यक्ष सबूतों की कमी के कारण योगिता और भूमिका के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके। अदालत ने जाँच एजेंसी को भी भविष्य में इस तरह की जांच में अधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी।