
मुंबई। मुंबई पुलिस ने एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) में कार्यरत महिला अधिकारियों की बहादुरी और समर्पण को उजागर करने वाला एक प्रेरणादायी वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में उन महिलाओं और लड़कियों की वास्तविक कहानियाँ दिखाई गई हैं जिन्हें शोषण और तस्करी के चंगुल से मुक्त कराया गया, साथ ही उन अधिकारियों के अथक प्रयासों को भी सराहा गया है, जो पर्दे के पीछे रहकर लगातार इस लड़ाई को आगे बढ़ा रही हैं। पुलिस ने अपने आधिकारिक पोस्ट में महिला अधिकारियों को समाज की बुराइयों के खिलाफ “उम्मीद का स्तंभ” बताते हुए सम्मानित किया है। पोस्ट में लिखा गया, हर बचाव एक नई शुरुआत है। वीडियो की शुरुआत इंस्पेक्टर ज्योतिदे भिडस के पिता के भावुक संबोधन से होती है। इसके बाद पुलिस सब-इंस्पेक्टर सुवर्णा गणपत पाटिल ने मानव तस्करी के खिलाफ जारी संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब तक 70 से 80 महिलाओं को बचाया गया है, जिनमें से कई भारत के अलग-अलग हिस्सों और विदेशों से लाई गई थीं। पाटिल ने कहा- हमने 10 विदेशी महिलाओं को बचाया जो यहां व्यापार करने के लिए आई थीं और 25 अविवाहित महिलाओं की भी मदद की। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें इस कठिनाई से बाहर निकालें। उन्होंने आगे जानकारी दी कि इस अभियान के दौरान 150 से 200 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वीडियो में एक बांग्लादेशी युवती की मार्मिक कहानी भी दिखाई गई, जिसे ब्यूटी पार्लर में नौकरी का झांसा देकर सेक्स तस्करी में धकेल दिया गया था। पाटिल ने बताया कि उस महिला को जबरन काम करने पर मजबूर किया गया और उसके साथ मारपीट भी हुई, लेकिन AHTU टीम ने उसे बचाकर सुरक्षित भविष्य की राह दिखाई। इंस्पेक्टर पाटिल ने पीड़ितों के पुनर्वास और सहयोगी नेटवर्क की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा- मुझे गर्व है कि हम इन महिलाओं को सम्मानजनक जीवन दिलाने में योगदान दे रहे हैं। हर बचाव हमारे लिए एक जीत है। मुंबई पुलिस का यह वीडियो न केवल मानव तस्करी की भयावह सच्चाइयों को सामने लाता है, बल्कि महिला अधिकारियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता को भी सम्मानित करता है। उनका यह कार्य समाज में न केवल न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि पीड़ितों के जीवन में नई उम्मीद और सम्मान भी लौटाता है।