
ठाणे। महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री गणेश नाईक ने एक बार फिर कल्याण तालुका के 14 गांवों को नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) में शामिल करने के फैसले का विरोध किया है। नवी मुंबई में आयोजित 100 चैरिटी गतिविधियों के गोल्डन ग्लोरी फेस्टिवल में बोलते हुए नाईक ने इस निर्णय को “मनमानी” बताया और चेतावनी दी कि चुनाव के छह महीने के भीतर इन गांवों को एनएमएमसी से बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए वे अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष करेंगे। राज्य सरकार ने लोकसभा चुनाव के दौरान दहिसर, नवली, निगु, मोकाशी पाड़ा, भंदरली, पिंपरी गांव, गोठेघर, बांबली, उत्तरशिव, नागांव, नारवली, वाकलान, बाले और दहिसर मोरी जैसे गांवों को नवी मुंबई नगर निगम में शामिल किया था। ये गांव भौगोलिक रूप से ठाणे नगर निगम की सीमा के करीब हैं, लेकिन नवी मुंबई से पहाड़ द्वारा अलग हैं। पहले ये एनएमएमसी का हिस्सा थे, लेकिन प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ने के विरोध के चलते इन्हें बाहर किया गया था। ग्रामीणों ने 15-20 साल तक विकास और सुविधाओं की कमी का हवाला देकर इन्हें दोबारा एनएमएमसी में शामिल करने की मांग की थी। सरकार ने यह मांग मान ली, लेकिन गणेश नाईक ने इसका तीखा विरोध किया है। उनका कहना है कि इस विलय से एनएमएमसी पर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय बोझ पड़ेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले इस इलाके में एक टनल प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन अब इसकी लागत कई गुना बढ़ चुकी है।
नाईक ने सरकार पर आरोप लगाया कि नवी मुंबई के फिक्स्ड डिपॉजिट में देरी हुई है और कुछ वार्डों में अनावश्यक प्रोजेक्ट जैसे सीमेंट की सड़कों पर सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया गया। उन्होंने नवी मुंबई के नागरिकों से अपील की कि वे सतर्क रहें और इस फैसले का विरोध करें। अंत में नाईक ने कहा कि वे सभी नागरिकों का सम्मान करते हैं, लेकिन इस विलय का शांतिपूर्ण और दृढ़ विरोध जारी रखेंगे।