
मुंबई। एक विशेष मकोका अदालत ने दाऊद इब्राहिम गिरोह के कथित सदस्य और गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला के सहयोगी सलीम पेनवाला उर्फ सलीम दाढ़ी को 2011 में दर्ज जबरन वसूली के मामले में जमानत दे दी है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के उत्तर में निरंतरता की कमी और साक्ष्यों की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय सुनाया। यह मामला जेजे मार्ग पुलिस द्वारा 2011 में दर्ज किया गया था, परंतु सलीम दाढ़ी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया, जब एजाज लकड़ावाला को जनवरी 2020 में पकड़ा गया था। पूछताछ में लकड़ावाला ने खुलासा किया कि दाढ़ी ने 2011 में एक व्यवसायी से 50 लाख रुपये की जबरन वसूली की थी, जिसमें से 25 लाख रुपये उसे दिए गए थे। हालांकि, लकड़ावाला ने बाद में अपना बयान बदल दिया और दावा किया कि यह बयान उसकी बेटी को फंसाने की धमकी देकर लिया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2011 की घटना में पांच आरोपियों ने व्यवसायी पर गोलियां चलाई थीं, जो बच गया और बाद में सुरक्षा राशि का भुगतान किया। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अगर अभियोजन के मुताबिक दाढ़ी 2019 में लकड़ावाला के संपर्क में आया, तो 2011 के अपराध में उसकी संलिप्तता सिद्ध नहीं होती। न्यायालय ने यह भी कहा कि लकड़ावाला के पलटे बयान को छोड़कर, दाढ़ी के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है। अब तक दर्ज किए गए 36 गवाहों में से किसी ने भी उसके खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है। न्यायाधीश ने स्पष्ट किया, “यह शिकायतकर्ता का मामला भी नहीं है कि आरोपी ने कभी सीधे धमकी दी हो या कोई रकम वसूली हो। यहां तक कि अपराध के समय आरोपी और लकड़ावाला के बीच कोई संबंध भी सिद्ध नहीं होता। इस निर्णय के बाद सलीम दाढ़ी को सशर्त जमानत दी गई है, जबकि मामले की सुनवाई अब भी जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला अभियोजन पक्ष की तैयारी और साक्ष्य प्रस्तुति की गंभीर खामियों को उजागर करता है।