
जालना। जालना जिले के अंतरवाली सराठी गांव में मंगलवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा बने मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार पर वादाखिलाफी का गंभीर आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर मराठा समुदाय की लंबित मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो वह 29 अगस्त से मुंबई में एक बार फिर भूख हड़ताल पर बैठेंगे। मीडिया से बातचीत में जरांगे ने तीखे स्वर में कहा, “सरकार ने मराठा समाज को फिर धोखा दिया है। हमने दो साल तक धैर्य रखा, लेकिन अब उठ खड़े होने का समय है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले जिन चार प्रमुख मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, उनमें कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। ये मांगें हैं- सभी मराठों को कुनबी जाति के रूप में मान्यता देना, सेज सोयरे अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित करना, ऐतिहासिक राजपत्रों (बॉम्बे, सतारा, हैदराबाद) को लागू करना और आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना। जरांगे ने स्पष्ट किया कि कुनबी और मराठा एक ही सामाजिक इकाई हैं, यह सिद्ध करने हेतु 58 लाख से अधिक ऐतिहासिक दस्तावेज़ सरकार को सौंपे गए हैं। उन्होंने शिंदे समिति की दस्तावेज़ एकत्र करने की प्रक्रिया की सराहना तो की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इतने प्रमाणों के बावजूद भी कुनबी प्रमाणपत्र जारी न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। “अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो परिणाम भुगतने होंगे। कार्यकर्ता ने राज्य सरकार पर सेज सोयरे अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित न करने और आंदोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस न लेने को समुदाय के साथ विश्वासघात करार दिया। उन्होंने मराठा समाज से खेती-बाड़ी के काम दो महीने में समेटने और मुंबई मार्च की तैयारी करने की अपील करते हुए कहा, चुप मत बैठिए, अब अपने अधिकारों के लिए निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है। जरांगे ने अंत में दो टूक कहा, “इस बार मैं पीछे नहीं हटूंगा। सरकार को फैसला लेना ही होगा।