
मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र सोमवार 30 जून से शुरू हुआ और यह सत्र आगामी 18 जुलाई तक चलेगा। सत्र के पहले ही दिन उपमुख्यमंत्री तथा वित्त एवं नियोजन मंत्री अजित पवार ने 57,509.71 करोड़ रूपए की अनुपूरक मांगें विधानमंडल में प्रस्तुत कीं। इन मांगों में सरकार का दावा है कि वास्तविक शुद्ध वित्तीय भार 40,644.69 करोड़ रूपए होगा। यह वित्तीय प्रस्ताव राज्य के बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण के विविध क्षेत्रों को सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। प्रस्तावित अनुपूरक मांगों में नासिक कुंभ महापर्व की तैयारियों के लिए प्रतीकात्मक रूप से 1,000 रूपए का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, सड़कों, मेट्रो परियोजनाओं, सिंचाई योजनाओं, महात्मा फुले जन आरोग्य योजना, संजय गांधी निराधार योजना, पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियों और कमजोर वर्गों के विकास के लिए विशेष निधियों की व्यवस्था की गई है। मांगों में सबसे बड़ी राशि 11,042.76 करोड़ रूपए 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अंतर्गत अनुदानों के लिए आवंटित की गई है। इसके अलावा, मेट्रो परियोजनाओं और शहरी निकायों को स्टांप शुल्क अधिभार की प्रतिपूर्ति हेतु 3,228.38 करोड़ रूपए तथा सहकारी चीनी मिलों की कार्यशील पूंजी के लिए राष्ट्रीय सहकार विकास निगम (NCDC) से प्राप्त मार्जिन मनी लोन हेतु 2,182.69 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। विधान परिषद में सत्र की कार्यवाही को संचालित करने के लिए सभापति प्रो. राम शिंदे ने पटल अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा की। इस बार सदस्यों अमित गोरखे, इदरीस नायकवाड़ी, कृपाल तुमाने, सुनील शिंदे और डॉ. प्रज्ञा सातव को पटल अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार के इस बजटीय प्रस्ताव को लेकर विपक्षी दलों की तीखी निगरानी और आलोचना की संभावना जताई जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में किसान आंदोलनों, कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी और भाषा नीति को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। आगामी सत्र में इन सभी मुद्दों पर सरकार को विपक्ष के कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है।