
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने सीवर की मैनुअल सफाई को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 100 अत्याधुनिक रोबोटिक सीवर-सफाई मशीनें खरीदने का निर्णय लिया है। प्रत्येक मशीन की कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये होगी, जिससे इस परियोजना पर कुल 100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इन मशीनों के आने से सीवर सफाई का यह खतरनाक कार्य अब मनुष्यों की बजाय मशीनों द्वारा किया जाएगा। इन रोबोटिक मशीनों को वाहनों पर लगाया जाएगा और प्रारंभिक चरण में राज्य के 29 नगर निगमों में एक-एक मशीन वितरित की जाएगी। भविष्य में इस पहल को और विस्तारित करने की योजना है। वर्तमान में सीवर सफाई में लगे कर्मचारियों को नई तकनीक के संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि उन्हें पुनर्वास और रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता दी जा सके। यह पहल राज्य सरकार के हाल ही में अनुमोदित कार्यक्रम ‘मैनहोल से मशीन होल तक’ के तहत शुरू की गई है। यह कार्यक्रम मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के अनुरूप है, जो मैनुअल स्कैवेंजिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है और सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की सफाई में प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
मूल रूप से इस परियोजना की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन शहरी विकास विभाग को दी गई थी, लेकिन देरी के चलते अब इसे शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्री संजय शिरसाट के नेतृत्व वाले सामाजिक न्याय विभाग को सौंपा गया है। खरीद प्रक्रिया की निगरानी महात्मा फुले पिछड़ा वर्ग विकास निगम द्वारा की जाएगी। विभाग के प्रधान सचिव हर्षदीप कांबले की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समिति इन मशीनों के तकनीकी विनिर्देश और पात्रता मानक तय करेगी, जबकि अंतिम अनुमोदन समिति और निगम के प्रबंध निदेशक दोनों द्वारा दिया जाएगा। यह कदम न केवल सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि राज्य में स्वच्छता और तकनीकी आधुनिकीकरण की दिशा में भी एक बड़ा परिवर्तन साबित होगा।