
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के 1,800 पंजीकृत भजन मंडलों को 25,000 रुपये प्रति मंडल की अनुदान राशि देने की घोषणा के बाद इसके लिए मानदंड जारी किए हैं। यह योजना पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लागू होगी। इसके तहत प्रत्येक मंडल में 20 सदस्य होना अनिवार्य है और उन्हें सालाना 50 भजन कार्यक्रम प्रस्तुत करने होंगे। सरकार ने सोमवार को जारी प्रस्ताव में स्पष्ट किया कि किसी मंडल को दोबारा अनुदान प्राप्त करने के लिए पहले अनुदान के तीन साल बाद ही आवेदन की अनुमति दी जाएगी। इस वर्ष अनुदान प्राप्त करने वाले मंडल 2028 में ही पुनः आवेदन कर सकेंगे। यह समय-सीमा लोकसभा और विधानसभा चुनावों से एक वर्ष पहले की होगी। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अंतिम तिथि 6 सितंबर तय की गई है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि निकट भविष्य में नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा को देखते हुए यह पहल भजन मंडलों के आध्यात्मिक प्रभाव और भक्तों से जुड़ाव को साधने का प्रयास भी मानी जा रही है। सरकारी खजाने में 4.5 करोड़ रुपये इस योजना के लिए आवंटित किए गए हैं। प्रत्येक मंडल 25,000 रुपये के इस अनुदान को हारमोनियम, मृदंग, पखावज, वीणा, तंबोरा और हाथ के झांझ जैसे वाद्ययंत्रों की खरीद पर खर्च कर सकेगा। यह योजना तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की 2008 में शुरू की गई लोक कला संवर्धन योजना से प्रेरित बताई जा रही है। वर्तमान सरकार ने पारंपरिक लोक कलाओं की पाँच श्रेणियों में भजन मंडलों को शामिल किया है, जिसके अंतर्गत 80 समूह हर वर्ष 50 लाख रुपये के राज्य अनुदान का लाभ ले सकते हैं।