
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश में 24 वर्षीय देवा पारधी की हिरासत में हुई मौत के लिए कथित रूप से जिम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर सीबीआई की कड़ी आलोचना की। यह मामला जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ के समक्ष आया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आरोपी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में असफल रही है और पूछा, “इस आदेश का क्या फायदा? लाचारी का बहाना क्यों बनाया जा रहा है?” पीठ ने स्पष्ट किया कि वह बहानेबाजी नहीं सुनना चाहती और फरार आरोपियों की सुरक्षा का बहाना बनाना बंद करने को कहा। यह टिप्पणियां मृतक की मां द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान आईं, जिसमें इस वर्ष मई में पारित आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। उस आदेश में घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने मृतक के चाचा गंगाराम पारधी की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि अगर हिरासत में दूसरी बार कोई अप्रिय घटना होती है, तो वह गंभीर कदम उठाएगी। सीबीआई के वकील ने दलील दी कि आरोपी पुलिस अधिकारी भगोड़ा घोषित किए जा चुके हैं और उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए आवेदन किया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि पुलिस ने मृतक के चाचा के खिलाफ कई मामले दर्ज किए ताकि उन्हें हिरासत में रखा और धमकाया जा सके। मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि दोनों पुलिस अधिकारियों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उठाए गए कदमों की स्थिति रिपोर्ट पेश करें। पीठ ने यह भी संकेत दिया कि अगर आरोपियों को दो दिनों के भीतर गिरफ्तार कर लिया जाता है, तो अवमानना कार्यवाही जारी नहीं रहेगी। अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई है। देवा पारधी को 14 जुलाई, 2024 को उसके चाचा के साथ पुलिस अधिकारियों ने उसके विवाह समारोह से जबरन उठाया था। आरोप है कि उसे सीसीटीवी कैमरों से रहित थाने में प्रताड़ित किया गया, रस्सियों से बांधा गया, उल्टा लटका दिया गया और दम घोंटने के लिए बार-बार पानी डाला गया। इस यातना के दौरान देवा पारधी की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी और आरोपी पुलिस अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी का निर्देश दिया था।




