
मुंबई। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल (बीसीएमजी) ने पुणे के जाने-माने वकील असीम सरोदे का वकालत लाइसेंस तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। सरोदे पर आरोप है कि उन्होंने न्यायपालिका, तत्कालीन महाराष्ट्र के राज्यपाल और राज्य विधानसभा स्पीकर के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। भाजपा नेता और एडवोकेट राजेश दाभोलकर की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, बीसीएमजी की अनुशासनात्मक समिति ने कहा कि सरोदे ने अपने भाषण में ऐसे बयान दिए जो एडवोकेट्स एक्ट के तहत “प्रोफेशनल मिसकंडक्ट” (व्यवसायिक दुराचार) की श्रेणी में आते हैं।
क्या है मामला: शिकायत के अनुसार, पिछले साल मार्च में मुंबई में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान असीम सरोदे ने भारत की न्याय व्यवस्था, राज्य विधानसभा स्पीकर और तत्कालीन राज्यपाल के कामकाज को लेकर गंभीर आरोप और तीखी टिप्पणियां की थीं। उनके इन बयानों को “अपमानजनक” और “मानहानिकारक” बताते हुए शिकायत दर्ज की गई थी। हालांकि बीसीएमजी ने यह आदेश अगस्त 2025 में ही पारित कर दिया था, पर इसकी कॉपी सरोदे को हाल ही में सौंपी गई है। समिति ने कहा कि सरोदे के बयान न्यायपालिका की प्रामाणिकता और स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं और यह संदेश देते हैं कि न्यायपालिका “दबाव में या भ्रष्ट” है। बीसीएमजी ने अपने आदेश में कहा- प्रतिवादी वकील (सरोदे) ने एक सार्वजनिक मंच से ऐसे बयान देकर न्यायपालिका के प्रति अविश्वास और अनादर का माहौल बनाया है। यह आचरण एक वकील के लिए अत्यधिक अनुचित, निंदनीय और आपत्तिजनक है। समिति ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही तय किए जा चुके मामलों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना और राजनीतिक मंच से न्यायपालिका की आलोचना करना आम जनता में गलत धारणा पैदा करता है। असीम सरोदे ने इन आरोपों को कानून के खिलाफ और अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल “संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के कामकाज की आलोचना” की थी, न कि व्यक्तिगत अपमान किया। सरोदे ने घोषणा की है कि वे इस फैसले के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) में अपील करेंगे। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल राज्य के साथ-साथ दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में वकीलों की प्रैक्टिस को नियंत्रित करने वाली संस्था है। यह संस्था वकीलों का एनरोलमेंट, वकालत की सनद जारी करना, और अनुशासनात्मक कार्यवाही की निगरानी करने का अधिकार रखती है। हालांकि यह सरोदे के खिलाफ पहली अनुशासनात्मक शिकायत थी, इसलिए काउंसिल ने “सख्त कार्रवाई” के बजाय तीन महीने के निलंबन का “नरम आदेश” पारित किया है।




