
मुंबई। मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईडबल्यूओ) ने 50 करोड़ रुपए के लैंड स्कैम का भंडाफोड़ करते हुए अंधेरी (पश्चिम) से एक 39 वर्षीय व्यापारी को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान संदीप बाबूलाल गाड़ा के रूप में हुई है, जो एस.वी. रोड पर अवेज़ हाइट्स में रहने वाला फर्नीचर और प्लाईवुड व्यवसायी है। पुलिस का कहना है कि गाड़ा ने जाली दस्तावेजों के ज़रिए ज़मीन के सौदों में हेराफेरी की और अवैध कंस्ट्रक्शन की मंज़ूरी हासिल करने में सक्रिय भूमिका निभाई। यह मामला तब सामने आया जब मालाड (पश्चिम) के निवासी अल्फ्रेड अल्मेडा ने बांगुर नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। अल्मेडा ने आरोप लगाया कि 2006 से जून 2025 के बीच, कुछ लोगों के एक ग्रुप ने फर्जी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन के ज़रिए उनसे करोड़ों रुपये की ठगी की। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने 22 अगस्त 2025 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि बोरीवली के वलनाई गांव में सर्वे नंबर 36 की ज़मीन को जाली दस्तावेजों के सहारे अवैध रूप से हड़प लिया गया था। इन फर्जी कागज़ों की मदद से आरोपियों ने बिल्डिंग परमिशन प्राप्त कर ली और विवादित प्लॉट पर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। ईडबल्यूओ ने जांच में गाड़ा की संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिलने के बाद उसे गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने नकली ज़मीन सौदे करवाने और जाली दस्तावेज तैयार करवाने में मुख्य भूमिका निभाई। उसे शुक्रवार को एस्प्लेनेड कोर्ट में पेश किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान इस स्कैम में कई अन्य कंपनियों और व्यक्तियों की भूमिका भी सामने आई है। इनमें मुरल बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के शेयरहोल्डर मोहम्मद अख्तर मोहम्मद इशाक शेख, केतन पटेल, सागर पटेल और विमल पटेल, साथ ही मास्टर सिविल कंस्ट्रक्शन के पार्टनर मनोज रावत, उनके परिजन और शमसुद्दीन कुरैशी के नाम शामिल हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें उकसाने, धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात, साजिश और धमकी से संबंधित अपराध शामिल हैं। ईडबल्यूओ अब इस स्कैम से जुड़े अवैध फंड के प्रवाह और वित्तीय ट्रेल की गहन जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क और संभावित राजनीतिक या प्रशासनिक संलिप्तता का पर्दाफाश किया जा सके। अधिकारियों के अनुसार, यह अब तक के “सबसे संगठित ज़मीन घोटालों में से एक” है, जिसमें फर्जी कागज़ात, अवैध मंज़ूरियाँ और कॉर्पोरेट परतों का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की संपत्ति हथियाई गई।




