
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने अपनी वस्त्र नीति को देश की सर्वश्रेष्ठ नीतियों में से एक बताते हुए टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत जूट उद्योग को विशेष प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। सरकार ने उद्यमियों से जूट उत्पादन को बढ़ाने का आह्वान किया, जिससे महाराष्ट्र के विकास को गति मिलेगी और ‘विकसित महाराष्ट्र, विकसित भारत’ के सपने को साकार किया जा सकेगा, ऐसा प्रदेश के वस्त्र मंत्री संजय सावकारे ने कहा। वह ‘जूट मार्क इंडिया’ योजना के तहत आयोजित जनजागृति कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। यह कार्यशाला टेक्सटाइल्स कमिटी, मुंबई, राष्ट्रीय जूट बोर्ड और केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से आयोजित की गई थी। इस अवसर पर विधायक अनुप अग्रवाल, केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की वस्त्र आयुक्त एवं उपाध्यक्ष रूप राशी, टेक्सटाइल्स कमिटी के सचिव कर्तिकेय धांडा, संयुक्त निदेशक डॉ. के. एस. मुरलीधर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
जूट उद्योग में हैं अपार संभावनाएं: संजय सावकारे
मंत्री संजय सावकारे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जूट को ‘स्वर्णतंतु’ (गोल्डन फाइबर) कहा जाता है और इस क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के कपास उत्पादन का उल्लेख करते हुए बताया कि विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में उच्च गुणवत्ता का कपास पैदा होता है, लेकिन इसका सिर्फ 30% राज्य में उपयोग हो पाता है। कपास उद्योग को मजबूत करने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके लिए मजबूत बुनियादी ढांचे और केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता की जरूरत है।
भारत में जूट उत्पादन बढ़ाने की जरूरत
भारत में जूट का बड़े पैमाने पर अनाज भंडारण और पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है। अनाज भंडारण के लिए जूट बैग (बारदाना) की भारी मांग है। लेकिन, देश में जूट उत्पादकों की संख्या सीमित है, इसलिए इसका उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है, ऐसा मंत्री सावकारे ने कहा।
‘जूट मार्क इंडिया’ योजना: जूट उत्पादों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाजार
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने 9 जुलाई 2022 को ‘जूट मार्क इंडिया’ (जेएमआई) योजना शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य देश और वैश्विक बाजार में जूट उत्पादों को पहचान और बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, प्रमाणित कारीगरों और निर्माताओं को ट्रेस करने योग्य क्यूआर कोड वाला ‘जूट मार्क’ लोगो दिया जाता है, जिससे वे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जुड़ सकते हैं। जेएमआई योजना को लागू करने की जिम्मेदारी वस्त्र मंत्रालय के तहत टेक्सटाइल्स कमिटी को दी गई है। इस योजना के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जनजागृति कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है, ताकि कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, जूट उत्पाद निर्माताओं और अन्य हितधारकों को इससे जोड़कर उन्हें अधिक आर्थिक अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
कार्यशाला का उद्देश्य और समापन
इस कार्यशाला का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ फाइबर के रूप में जूट की बढ़ती मांग को देखते हुए, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी बिक्री क्षमता को मजबूत करना था। कार्यशाला का उद्घाटन वस्त्र मंत्री संजय सावकारे ने दीप प्रज्वलन कर किया, जबकि टेक्सटाइल्स कमिटी के संयुक्त निदेशक डॉ. के. एस. मुरलीधर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस पहल से महाराष्ट्र में जूट और वस्त्र उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और इससे राज्य के हजारों उद्यमियों व कारीगरों को नए रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।